Tuesday 14/ 10/ 2025 

जब वंदेमातरम के लिए माफी ना मांगने पर स्कूल से निकाल दिए गए थे हेडगेवार – dr hedgewar rusticated school vandematram 100 years of rss histrory ntcpplकांग्रेस में शामिल हुए पूर्व IAS कन्नन गोपीनाथन, के सी वेणुगोपाल ने दिलाई सदस्यताRajdeep Sardesai’s column: The shoe thrown at the CJI was aimed at the justice system | राजदीप सरदेसाई का कॉलम: सीजेआई पर फेंके जूते का निशाना न्याय व्यवस्था थीE20 Fuel: 10 में से 8 ने कहा माइलेज घटा, मेंटनेंस बढ़ा! क्या एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल बन रहा सिरदर्द – E20 Ethanol Blend fuel hits mileage maintenance old petrol vehicles Surveyलखपति दीदी से उड़ान तक… मां, बहन और बेटियों के लिए बहुत काम की हैं मोदी सरकार की ये 6 योजनाएं, कर लें नोटPt. Vijayshankar Mehta’s column – Keep God at the beginning, middle and end of everything | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: हर चीज के आरम्भ, मध्य और अंत में ईश्वर को रखेंसोहा अली खान ने दिखाया दिवाली की सफाई को वर्कआउट में बदलने का मजेदार तरीका! देखें VIDEO – soha ali khan diwali 2025 cleaning fitness tips exercise home without gym tvistदिल्ली समेत उत्तर भारत में कब से पड़ेगी कड़ाके की सर्दी? मौसम विभाग ने बताया, जानें आज कहां होगी बारिशN. Raghuraman’s column – ‘Re-connect’: Gen-G has invented a new way to connect without phones | एन. रघुरामन का कॉलम: ‘री-कनेक्ट’ : जेन-जी ने निकाला बिना फोन के आपस में जुड़ने का नया तरीकानेपाल के बाद अब इस देश में Gen-Z का उग्र प्रदर्शन, तख्तापलट की कोशिशों के बीच राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे! – madagascar president rajoelina flees military revolt gen z protests ntc
देश

दो अफसरों की मुलाकात और तय हो गई भारत-पाकिस्तान की सीमा, जानें अटारी-वाघा बॉर्डर की दिलचस्प कहानी

कैसे बना अटारी वाघा...

कैसे बना अटारी वाघा बॉर्डर

अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो अटारी (भारत) और वाघा (पाकिस्तान) के बीच स्थित है। अटारी वाघा बॉर्डर भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद अस्तित्व में तब आया, जब अटारी भारत के हिस्से में आया और वाघा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। यह बॉर्डर आजादी और विभाजन के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार, यात्रा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। फिलहाल अटारी-वाघा बॉर्डर संकट में है क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सख्त एक्शन लेते हुए भारत ने अपना अटारी चेकपोस्ट बंद कर दिया है।

अटारी वाघा बॉर्डर का इतिहास है दिलचस्प 

भारतीय सीमा पर स्थित एक गांव, जो महाराजा रंजीत सिंह के जनरल सरदार श्याम सिंह अटारीवाला का गांव था और वाघा पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक गांव था, जो श्याम सिंह की जागीर थी। ऐसे देखें तो अटारी और वाघा बॉर्डर में कोई खास अंतर नहीं है, बस भारत पाकिस्तान की सीमा के दोनों ओर के दो गांवों के नाम हैं, लेकिन यह सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए महत्वपूर्ण बन गए।


भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय, कई लोग इसी अटारी वाघा सीमा से भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आए थे।

अटारी वाघा बॉर्डर की कहानी

Image Source : INDIATV

अटारी वाघा बॉर्डर की कहानी

बंटवारे से पहले, लाहौर और अमृतसर अविभाजित पंजाब में व्यापार के प्रमुख केंद्र थे, इसलिए अटारी-वाघा बॉर्डर भी महत्वपूर्ण हो गया था। साल 2005 में, अटारी-वाघा बॉर्डर से व्यापार की शुरुआत हुई।  आज अटारी और वाघा सीमा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और दोस्ती का प्रतीक है। सबसे खास ये है कि साल 1959 में, दोनों देशों की सरकारों ने वाघा सीमा समारोह (बीटिंग रिट्रीट समारोह) शुरू किया, जो हर शाम सूर्यास्त से पहले होता है। 

सीमा निर्धारण के लिए मिले थे पांच हफ्ते

विभाजन के वक्त अटारी चेक पोस्ट पर इतना तामझाम नहीं था। यहां कुछ नीले ड्रम रखे औऱ पत्थरों से सीमाएं खींच दी गई थीं। 1947 में ब्रिटिश वकील सर सिरिल रेडक्लिफ पंजाब में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा निर्धारण की जिम्मेदारी निभा रहे थे और उन्हें दोनों देशों की सीमा निर्धारण के लिए सिर्फ पांच हफ्ते का वक्त दिया गया था। इस कम वक्त में यह सब कुछ इतने आनन-फानन में हुआ कि भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों को रेडक्लिफ अवार्ड की कॉपी पढ़ने के लिए कुछ घंटे मिले और यह 17 अगस्त 1947 से लागू हो गया। 

दो अफसरों की हुई मुलाकात हो तय हो गया बॉर्डर

ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा ने रिटायरमेंट के बाद अपनी किताब 1947: A Soldier’s Story में बॉर्डर चेकपोस्ट तय करने की दिलचस्प कहानी बताई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे उन्हें भारत की ओर से और नाजिर अहमद को पाकिस्तान की ओर से बॉर्डर तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों ब्रिगेडियरों ने ग्रैंड ट्रंक रोड पर टहलते हुए मुलाकात की और मुलाकात वाघा गांव की सीमा में हुई और उसी वक्त यहां चेकपोस्ट बनाने की बात तय हो गई।

11 अक्टूबर 1947 को अस्थायी तौर पर वाघा चेकपोस्ट स्थापित हो गया और वहां कुछ ड्रमों और पत्थरों को रखकर सीमा रेखा खींच दी गई। दोनों ओर कुछ टेंट लगा दिए गए। सैनिकों द्वारा निगरानी के लिए सेंट्री बॉक्स बनाए गए और भारत पाकिस्तान के झंडे भी लहराने लगे। दोनों ओर दो ध्वज स्तंभ भी लगाए गए और इस ऐतिहासिक घटना की याद में एक पीतल की प्लेट भी लगाई गई।

वाघा सीमा तय होने के बाद दोनों अधिकारी फिर 21 अक्टूबर को भारतीय सीमा में अटारी गांव में मिले। पहले करीब साठ सालों तक इस चेकपोस्ट को वाघा बॉर्डर ही कहते थे, लेकिन फिर 8 सितंबर 2007 को इसे अटारी बॉर्डर या अटारी चेकपोस्ट नाम दिया गया। 

Latest India News




Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL