Monday 13/ 10/ 2025 

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‘अगर हमारे पास 10 कलाम हों तो सचमुच में बदलाव लाया जा सकता है’, बोले डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक

APJ Abdul Kalam
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एपीजे अब्दुल कलाम

बेंगलुरु: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक प्रह्लाद रामाराव ने रविवार को कहा कि अगर भारत में 10 अब्दुल कलाम हों तो अनुसंधान और विकास के तरीके में सचमुच बदलाव लाया जा सकता है। बेंगलुरु निवासी रामाराव भारत के ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा गठित मिसाइल निर्माण टीम का हिस्सा थे। उन्होंने और उनकी टीम ने सतह से हवा में मार करने वाली आकाश नामक स्वदेशी मिसाइल प्रणाली पर 1983 से लगभग 15 वर्षों तक काम किया था। अब उनके लिए गौरव का क्षण है क्योंकि इसने विशेष रूप से आठ और नौ मई को पाकिस्तानी मिसाइलों तथा ड्रोन हमलों का डटकर सामना किया। 

एक टीम के रूप में मिलकर काम नहीं कर सकते

रामाराव ने कहा, ‘‘भारत के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम व्यक्तिगत रूप से तो अच्छे हैं, लेकिन एक टीम के रूप में मिलकर काम नहीं कर सकते। कलाम इस समस्या को हल करने में बहुत अच्छे थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों की ऊर्जा को कैसे समन्वित किया जाए। इसलिए मुझे लगता है कि अगर हमारे पास 10 कलाम हों, तो भारत सही मायनों में नेतृत्व कर सकता है।’’ 

उन्होंने कहा कि वह केवल 34 वर्ष के थे जब उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल परियोजना का निदेशक बनाया गया था। इस परियोजना को मूल रूप से ‘एसएएम एक्स’ कहा जाता था और बाद में इसका नाम बदलकर ‘आकाश’ प्रणाली कर दिया गया। बता दें कि आकाश स्वदेशी मिसाइल प्रणाली भारत द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली (Surface-to-Air) मिसाइल प्रणाली है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन किया और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) व भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने निर्मित किया। यह प्रणाली हवाई खतरों जैसे लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, और बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।

आकाश की मुख्य विशेषताएं:

  1. रेंज और ऊंचाई: आकाश मिसाइल 25-45 किमी की दूरी और 18-20 किमी की ऊंचाई तक लक्ष्य भेद सकती है। इसके उन्नत संस्करण, जैसे आकाश-एनजी, 70-80 किमी तक की रेंज रखते हैं।
  2. लक्ष्य: यह लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, और बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हवाई खतरों को बेअसर कर सकता है।
  3. रडार और मार्गदर्शन: इसमें ‘राजेंद्र’ 3D पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (PESA) रडार है, जो 64 लक्ष्यों को ट्रैक और 12 मिसाइलों को एक साथ मार्गदर्शन कर सकता है। मिसाइल में स्मार्ट कमांड गाइडेंस सिस्टम है।
  4. गतिशीलता: सिस्टम मोबाइल है, जिसे ट्रक, टैंक, या T-72/BMP चेसिस पर तैनात किया जा सकता है, और इसे सड़क, रेल, या वायु मार्ग से ले जाया जा सकता है।
  5. स्वदेशी तकनीक: 96% स्वदेशी, इसे DRDO, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने विकसित किया।

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