Saturday 11/ 10/ 2025 

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N. Raghuraman’s column – There can be no compromise on the safety of school buses | एन. रघुरामन का कॉलम: स्कूल बस की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते

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45 मिनट पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

पिछले सप्ताह बेंगलुरु के मगदी में एसबीएस स्कूल की दूसरी कक्षा का छात्र एल. रजत (7) अपनी 10 साल की बहन दुशिता के साथ स्कूल बस से घर लौट रहा था। उसके माता-पिता लोकेश और राधा, दोनों दिहाड़ी मजदूर हैं। सामान्य तौर पर स्कूल बस में 30 विद्यार्थी होते हैं। बस में बच्चों की देखभाल के लिए एक महिला अटेंडेंट को भी नियुक्त किया गया है।

चूंकि बस रजत और दुशिता के घर के समीप से शुरू होती है, इसलिए वो दोनों इसमें सबसे पहले चढ़ते हैं। वापसी के समय दोनों भाई-बहन सबसे अंत में उतरते भी हैं। शुक्रवार शाम को सभी बच्चे बस से उतर चुके थे और महिला अटेंडेंट भी रजत और दुशिता से एक स्टॉप पहले ही उतर गई।

35 साल के बस ड्राइवर आर. विनोद ने गाड़ी आगे बढ़ाई और रजत-दुशिता गेट के पास बैठे थे। बस का दरवाजा ठीक से लॉक नहीं हुआ था, इसलिए वह खुल गया। विनोद ने रजत से दरवाजा बंद करने को कहा। जैसे ही रजत दरवाजे के पास गया, वह बस से बाहर गिर गया और बस का पिछला टायर उसके ऊपर से गुजर गया।

विनोद तत्काल उसे लेकर पास के निजी अस्पताल पहुंचा, लेकिन रजत को बचाया नहीं जा सका। पुलिस ने विनोद को गैर इरादतन हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया। आमतौर पर दुर्घटना में मौत होने पर आरोपी को लापरवाही से मौत के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और उसे थाने से ही जमानत मिल जाती है। लेकिन जब गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तारी होती है, तो पुलिस को आरोपी को संबंधित अदालत में पेश करना पड़ता है, जहां से आरोपी सामान्य तौर पर न्यायिक हिरासत में सौंपा जाता है।

एक अनुसंधान अधिकारी ने बताया कि ‘विनोद की जिम्मेदारी थी कि वह यह सुनिश्चित करे कि दरवाजा ठीक से बंद हो गया है। लेकिन उसने चेक नहीं किया। दूसरी गलती थी कि उसने चलती बस में रजत को दरवाजा बंद करने के लिए कहा। विनोद को जिला कारागृह में भेज दिया गया है।’ तो अब बाकी बच्चों को क्या करना चाहिए?

1. उन्हें हमेशा सामने की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।

2. अगर बस में सीट बेल्ट हो, तो इसे तब ही खोलना चाहिए, जब यह पूरी तरह रुक जाए और बच्चों को इस आदत का अभ्यास कराना चाहिए।

3. चलती बस में बच्चों को इधर-उधर नहीं चलना चाहिए।

4. उन्हें दरवाजा नहीं खोलना चाहिए, भले कोई भी ऐसा करने के लिए कहे।

5. उन्हें खिड़की से हाथ या सिर बाहर नहीं निकालना चाहिए।

6. उन्हें चिल्लाकर ड्राइवर का ध्यान नहीं भटकाना चाहिए।

7. यदि बस की स्थिति खराब हो तो माता-पिता या शिक्षकों को बताना चाहिए।

स्कूलों को क्या करना चाहिए? कोई कर्मचारी स्कूल बस में किसी बच्चे को अकेला नहीं छोड़ सकता। और कोई कर्मचारी बच्चों को कोई काम करने के लिए नहीं कह सकता, जैसे रजत को कहा गया था। सरकार को क्या करना चाहिए?

दुबई में यदि स्कूल बस किसी बच्चे को उतारने के लिए रुकती है, तो कोई भी वाहन किसी भी तरफ से उसे ओवरटेक नहीं कर सकता। सभी ड्राइवर तब ही किसी स्कूल बस को ओवरटेक कर सकते हैं, जब वह चल रही हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब बच्चा बस से उतरता है तो बिना खतरा भांपे उसकी किसी भी ओर भागने की आशंका अधिक रहती है।

यूरोप में जब कोई स्कूल बस अपनी लाल बत्तियां चमकाते हुए रुकने का संकेत देती है तो दोनों दिशाओं से आने वाले यातायात को पूरी तरह थमना होता है। पूरे यूरोप में यह एक यूनिवर्सल नियम है। यदि कोई रुकी हुई स्कूल बस लाल बत्ती चमका रही हो तो उसके समीप से गुजरना सख्ती के साथ प्रतिबंधित है। बस में चढ़ रहे या उतर रहे विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जाता है। सरकार को यह नियम भी तय करना चाहिए कि निर्धारित किलोमीटर की ड्राइव के बाद बस के टायरों को बदलना पड़ेगा।

फंडा यह है कि एक अभिभावक के तौर पर यह ध्यान रखना होगा कि आप किसी गैर जिम्मेदार ठेके के ड्राइवर के भरोसे अपने बच्चे की जान का जोखिम नहीं ले सकते। आपको खुद ही इसे देखना होगा।

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