Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Interest in listening is decreasing because it requires patience | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: सुनने में रुचि कम हो रही है क्योंकि इसमें धैर्य लगता है

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2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
आजकल हर कोई बोलना चाहता है। सुनने में लोगों की कम रुचि है। क्योंकि सुनने में धैर्य लगता है। बच्चे मां-बाप की सुनना नहीं चाहते और कभी-कभी तो मां-बाप भी बच्चों की नहीं सुन रहे हैं। रामकथा में शिव जी को पार्वती जी बड़े ध्यान से सुन रही थीं। फिर भी शिव जी बीच-बीच में सावधान करते जा रहे थे, क्योंकि शंकर जानते हैं कि श्रोता का मनोविज्ञान होता है।
वो सुनते समय विचारों का संपादन करता है और कभी-कभी तो सुनने का अभिनय करने लगता है। तो शिवजी ने एक पंक्ति बोली- एसिअ प्रस्न बिहंगपति कीन्हि काग सन जाइ, सो सब सादर कहिहउं सुनहु उमा मन लाई। पक्षीराज गरुड़ ने भी काकभुशुंडि से ऐसे ही प्रश्न किए और उमा मैं वह सब आदर सहित कहूंगा, तुम मन लगाकर सुनो।
शिव जी ने कहा कि कहने वाले के शब्दों में सामने वाले के लिए आदर होना चाहिए और श्रोता को वक्ता की बात मन लगाकर सुननी चाहिए। बोल रहे हों तो सामने वाले का पूरा सम्मान रखें और सुन रहे हैं तो मन को केंद्रित करें।
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