Grishneshwar Jyotirling: जब एक मां की प्रार्थना पर प्रकट हो गए भगवान शिव, जानें क्या है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा – grishneshwar jyotirling when Lord Shiva appeared on the prayer of a mother know the story of Ghrishneshwar Jyotirlinga tvisg

Grishneshwar Jyotirling: सावन समाप्त होने में अब सिर्फ दो दिन बाकी रहे गए हैं और सावन का हर दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कई श्रद्धालु पूरे सावन महीने में भगवान शिव के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने का प्रण लेते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. कहते हैं कि जो व्यक्ति प्रातःकाल उठकर प्रतिदिन इन ज्योतिर्लिंगों की वंदना करता हैं उनके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं. तो चलिए आज हम आपको महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही जानेंगे कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए कैसे पहुंचे.
घृष्णेश्वर मंदिर, जिसे घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. शिव पुराण में वर्णित भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित है. यह स्थान नाग आदिवासियों का निवास स्थान था.
क्या है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा?
शिवपुराण के श्रीकोटि संहिता के अष्टम खंड के मुताबिक, घुश्मा नाम की एक महिला थी और वह महादेव की बहुत ही बड़ी भक्त थी. घुश्मा का पुत्र जब बड़ा हो गया तो उसका विवाह एक श्रेष्ठ ब्राह्मण की कन्या सुधर्मा से कर दिया. घुश्मा ने प्रेमवश पुत्र और पुत्र वधु को अपनी बड़ी बहन सुदेहा के चरणों में बैठाकर कहा कि ये आपके पुत्र और पुत्र वधु हैं. बहु से कहा- हे पुत्री ! ये तेरी सास है. इनकी तुम सब तरह से सेवा करना. इस प्रकार वह नित्य शिव पूजन करके गृह कार्य में लग जाती और यह देखकर सुदेहा की ईर्ष्या बढ़ने लगी. एक दिन सुदेहा ने रात्रि में उनके सोए हुए पुत्र की मृत्यु कर उसे तालाब में फेंक दिया.
प्रातःकाल जब सुधर्मा ने अपने पति को नहीं देखा तथा वहां खून देखा तो वह रोने लगी. घुश्मा को भी दुःख हुआ और सुदेहा भी बनावटी आंसू बहाने लगी. सुधर्मा का पति जब घर पर आया तो सभी का धैर्य बंधाते हुए वह बोला कि इसमें आप शोक मत करो. भगवान की ऐसी ही मर्जी होगी. इसपर हमारा कोई वश नहीं है. वह बोला- हे घुश्मे ! तुम शिव पूजन बंद मत करो. इस तरह पति के समझाने पर वह तालाब पर शिव पूजन करने गई. पार्थिव शिवलिंग पूजन के बाद जब वह घर लौटने लगी तो उसने अपने पुत्र को किनारे पर खड़ा देखा. वह बोला- हे माता ! मैं आपके तप और शिवजी की कृपा से वापिस जीवित हो गया हूं. माता ने शिवजी की बार-बार पूजा अर्चना की. तब भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट होकर बोले- हे घुश्मे ! मैं तेरी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं.
इसपर घुश्मे हाथ जोड़कर शिवजी की स्तुति करते हुए बोली- हे स्वामी! आप मुझे यह वरदान प्रदान करें, कि मेरी बड़ी बहन को अभय कर दें. उसने अवश्य मेरा बुरा किया है परंतु मुझे उसका बुरा नहीं करना चाहिए. यह सुनकर भगवान भोले शंकर अति प्रसन्न हुए. घुश्मा ने शिवजी से कहा- हे स्वामी ! आप संसार के कल्याण के लिए यहां पर ही विराजमान हो जाए, मेरी आपसे बस एक यही विनती है. इसपर शिवजी ने घुश्मे से कहा कि मैं यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहूंगा. मेरे इस ज्योतिर्लिंग का नाम घुश्मेश ज्योतिर्लिंग होगा. यह तालाब ही मेरे ज्योतिर्लिंग का स्थान रहेगा.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग- अगर आप दिल्ली से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का विचार कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको दिल्ली से छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) हवाई अड्डा पहुंचना होगा. इसके बाद आपको मंदिर जाने के लिए टैक्सी या कैब द्वारा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी.
रेल मार्ग- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद रेलवे स्टेशन है. आपको दिल्ली से औरंगाबाद के लिए आसानी से ट्रेन मिल जाएगी. स्टेशन पहुंचने के बाद, आप मंदिर पहुंचने के लिए टैक्सी या कैब किराए पर ले सकते हैं.
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