Neeraj Kaushal’s column – Trump has no right to impose tariffs! | नीरज कौशल का कॉलम: ट्रम्प को टैरिफ थोपने के अधिकार नहीं हैं!

5 घंटे पहले
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नीरज कौशल, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एकतरफा टैरिफों या उनकी धमकियों से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। दुनियाभर के व्यवसाय और नीति-निर्माता इसके संभावित परिणामों से डरे हुए हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति के पास इस तरह के टैरिफ लागू करने के संवैधानिक अधिकार हैं भी? जाहिराना तौर पर, नहीं!
नोबेल पुरस्कार विजेता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख जानकार पॉल क्रुगमैन ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म “सबस्टैक’ पर लिखा है कि “व्यापार को लेकर ट्रम्प जो कुछ कर रहे हैं, लगभग वह सबकुछ गैरकानूनी है।’ और ऐसा सोचने वाले क्रुगमैन अकेले नहीं हैं। अमेरिका में, दर्जनभर राज्य सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों ने टैरिफ के लिए शासनात्मक आदेशों का उपयोग करने और विधायी प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए ट्रम्प सरकार पर मुकदमा दायर किया है।
उनका कहना है कि राष्ट्रपति-अधिकारों के जरूरत से अधिक उपयोग ने अमेरिकी व्यवसायों और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट में दायर याचिका में उन्होंने ट्रम्प के टैरिफ को अवैध घोषित करने और सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों को इन्हें लागू करने से रोकने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान खुद जजों ने भी राष्ट्रपति के व्यापक टैरिफ लगाने के अधिकार पर संदेह जताया है और इसे आपात-शक्तियों का अभूतपूर्व दुरुपयोग बताया है। सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन अपने टैरिफ को न्यायोचित ठहराने के लिए ट्रम्प ने 1977 के जिस इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट (आईईईपीए) का उपयोग किया है, उसमें “टैरिफ’ शब्द का उल्लेख तक नहीं है!
ट्रम्प सरकार का कहना है कि व्यापार घाटे और ड्रग तस्करी के कारण देश पर “एक असामान्य और असाधारण खतरा’ मंडरा रहा है और यही आईईईपीए के उपयोग को वैध बनाता है। इधर अभियोजनकर्ताओं ने इन खतरों को झूठा बताया। उनका तर्क है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था दशकों से व्यापार-घाटे का सामना कर रही है और फिर भी समृद्ध हो रही है। जिन देशों पर ट्रम्प ने टैरिफ लगाए हैं, उनमें से अधिकांश से ड्रग तस्करी के बहुत मामूली सबूत मिले हैं।
कुछ मामलों में तो ट्रम्प के व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण टैरिफ बढ़े हैं। मसलन, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति और अपने प्रशंसक जायर बोल्सोनारो पर मुकदमे को आपातकाल बताते हुए ट्रम्प ने ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोप दिया है। आलोचकों का दावा है कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग और किसी अन्य देश के शासन में दखल है। अमेरिकी संविधान तीन असाधारण परिस्थितियों में राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का अधिकार देता है और इस मामले में इन तीनों में से कोई भी लागू नहीं होता।
पहला, ऐसे कुछ सामानों के आयात पर टैरिफ, जो सुरक्षा कारणों से जरूरी हों। कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि चूंकि अमेरिकी सुरक्षा के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है, इसलिए किसी झूठे खतरे के लिए टैरिफ का उपयोग बेतुका है।
दूसरा, अनुचित विदेशी व्यापार के जवाब में एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाना। लेकिन इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि दुनिया अपने उत्पादों को बाजार से कम कीमत पर अमेरिका में खपा रही है। इसीलिए टैरिफ के लिए यह न्यायोचित तर्क नहीं है।
और तीसरा, आर्थिक आपातकाल। लेकिन ट्रम्प तो खुद कई बार दावा कर चुके हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब तक की सबसे ताकतवर है। अब सबसे महान अर्थव्यवस्था और आपातकाल, दोनों एक साथ तो यकीनन नहीं हो सकते!
मई में न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने अपने फैसले में कहा था कि ट्रम्प सरकार कांग्रेस (संसद) द्वारा राष्ट्रपति को दिए अधिकारों की सीमा पार कर गई है। कोर्ट ने ट्रम्प टैरिफ के अनुपालन को रोकने का आदेश दिया था। लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने उस फैसले के खिलाफ फेडरल सर्किट में अपील कर दी। अपीलीय कोर्ट ने सरकार को मामले की सुनवाई जारी रहते हुए भी टैरिफ लागू करने की अनुमति दे दी।
टैरिफ थोपने के ट्रम्प के अधिकार पर यह कानूनी लड़ाई सम्भवत: उनके पूरे कार्यकाल में चलती रहेगी। शायद सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच जाए, जहां फिलहाल कंजर्वेटिव बहुमत में हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि कोर्ट ट्रम्प के पक्ष में फैसला दे, क्योंकि अधिकांश जज अमेरिकी संविधान के प्रति निष्ठावान हैं। और वो शायद ही कांग्रेस (संसद) के पर कतरने जैसा कोई निर्णय सुनाएंगे। अब ट्रम्प के पास संसद से विधायी मंजूरी लेने का विकल्प है।
लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा। और यह भी स्पष्ट नहीं कि ट्रम्प के अराजक और लापरवाह तौर-तरीकों के चलते खुद रिपब्लिकन विधायक भी राष्ट्रपति को यह अधिकार देने पर सहमति जताएंगे। यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगा तो ट्रम्प-टैरिफ के लिए रिपब्लिकनों का समर्थन भी कम हो सकता है।
कानून में टैरिफ शब्द का उल्लेख तक नहीं है…

अमेरिकी जजों ने ट्रम्प-टैरिफ को आपात-शक्तियों का दुरुपयोग बताया है। अपने टैरिफ को न्यायोचित ठहराने के लिए ट्रम्प ने 1977 के जिस आईईईपीए कानून का सहारा लिया, उसमें “टैरिफ’ शब्द का उल्लेख तक नहीं है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)
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