Saturday 06/ 09/ 2025 

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IPS अंजना कृष्णा के वीडियो ने साबित किया, BJP की ‘वाशिंग मशीन’ से दागी नेता नहीं धुलते – IPS Anjana Krishna Ajit Pawar video controversy BJP washing machine opns2

सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हो रहा है जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार पुलिस उपाधीक्षक अंजना कृष्णा को डांट रहे हैं  और कोई कार्रवाई रोकने का आदेश देते नज़र आ रहे हैं. जब पुलिस उपाधीक्षक कह रही हैं कि नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है. विडियो की स्क्रिप्ट इस प्रकार है…

अजित पवार: सुनो… सुनो मैं डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजित पवार बोल रहा हूं. मैं आपको आदेश देता हूं कि ये रुकवाओ, तहसीलदार के पास जाओ, उनको बोलो कि अजित पवार ने यह सब रुकवाने के लिए कहा, क्योंकि अभी मुंबई का माहौल खराब हुआ है, उसे प्राथमिकता देना है. मेरा नंबर दो उनको.

आईपीएस कृष्णा: आप एक काम कीजिए, मेरे फोन पर डायरेक्ट कॉल कीजिए.

अजित पवार: एक मिनट… मैं तेरे पर एक्शन लूंगा. आप मुझे डॉयरेक्ट कॉल करने के लिए कहती हो.

आईपीएस कृष्णा: मुझे कैसे पता ये आपका नंबर है. जो आप बोल रहे हैं मैं समझ रही हूं, सर.

अजित पवार: तुझे मुझे देखना है ना, तेरा वॉट्सएप नंबर देता हूं, मुझे कॉल करो, मैं यहां से बोल देता हूं.

आईपीएस कृष्णा: ठीक है सर.

अजित पवार: मेरा चेहरा तो आपको समझ में आएगा ना, इतना आपको डैरिंग हुआ है क्या.

आईपीएस कृष्णा: मुझे कुछ पता नहीं है सर, मैं समझ रही हूं.

अजित पवार: आपका नंबर दे दो, मैं डायरेक्ट कॉल करता हूं.

आईपीएस कृष्णा अपना मोबाइल नंबर अजित पवार को देती हैं…इसके बाद अजित पवार आईपीएस कृष्णा की वीडियो कॉल पर बातचीत होती है. इस पूरे विवाद पर एनसीपी प्रवक्ता आनंद परांजपे ने कहा कि उस कॉल का गलत मतलब निकाला जा रहा है. अजित पवार ने सिर्फ प्रोफेशनल तरीके से बातचीत की थी. उन्होंने कहा कि अंजना कृष्णा का यह कहना कि उन्हें राज्य के डिप्टी सीएम के बारे में जानकारी नहीं है, गलत है. लोकतंत्र में हर किसी की बात सुनी जानी चाहिए और इस वीडियो का गलत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.

भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप कोई नई बात नहीं हैं. विपक्ष लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने राजनीतिक विरोधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें निशाना बनाती है, लेकिन जैसे ही कोई नेता या दल बीजेपी में शामिल होता है या उसके साथ गठबंधन करता है, वह ईमानदार घोषित कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया को विपक्ष अक्सर वाशिंग मशीन के रूप में संदर्भित करता रहा है. इसका सीधा मतलब रहा है कि बीजेपी के लिए भ्रष्ट नेता तभी तक करप्ट होते हैं जब तक वो विरोध पक्ष में होते हैं. बीजेपी या एनडीए में शामिल होते ही विवादास्पद नेताओं की छवि साफ हो जाती है.

अवैध खनन और आईपीएस अंजलि की कार्रवाई

दरअसल सोलापुर, महाराष्ट्र में अवैध खनन में जब आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा ने कथित तौर पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार के दबाव को नजरअंदाज कर इस गंभीर अपराध के खिलाफ कठोर कार्रवाई की. इस वीडियो ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा को जन्म दिया. आईपीएस अंजलि ने अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा दिखाते हुए सत्ता के प्रभाव को दरकिनार कर कानून का पालन किया, जिससे उनकी ईमानदारी और साहस की प्रशंसा हो रही है.

अवैध खनन भारत में एक गंभीर समस्या है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और माफिया तंत्र को बढ़ावा देता है. सोलापुर जैसे क्षेत्र, जो खनिज संसाधनों से समृद्ध हैं, अक्सर अवैध खनन के केंद्र बन जाते हैं. ऐसे में, जब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सत्ता के दबाव के बावजूद कार्रवाई करता है, तो यह न केवल कानून के शासन को मजबूत करता है, बल्कि जनता में विश्वास भी जगाता है. पर नेताओं के आगे ऐसे अफसरों को मुंह की खानी पड़ती है. 

अजित पवार और भ्रष्टाचार के आरोप

अजित पवार, जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम हैं, लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे हैं. विशेष रूप से, 70,000 करोड़ रुपये के कथित सिंचाई घोटाले में उनका नाम बार-बार सामने आया. इस घोटाले में अनियमितताओं और धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे थे. 2019 में, जब अजित पवार ने राकांपा (NCP) को तोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन किया, तो महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने इस घोटाले से संबंधित नौ मामलों को बंद कर दिया. यह कदम विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बना, जिसने इसे बीजेपी की “वाशिंग मशीन” का उदाहरण बताया.

विपक्ष का दावा रहा है कि बीजेपी अपने विरोधियों को केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के जरिए निशाना बनाती है, लेकिन जब ये नेता बीजेपी में शामिल हो जाते हैं, तो उनके खिलाफ जांच या तो रुक जाती है या उन्हें क्लीन चिट दे दी जाती है. अजित पवार का मामला इस दावे का एक प्रमुख उदाहरण है. बीजेपी के साथ गठबंधन के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कहा था कि अजित पवार पर कई हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप हैं लेकिन गठबंधन के बाद, न केवल जांच रुकी, बल्कि पवार को महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री का पद भी मिला.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार एनसीपी को नैचुरली करप्ट पार्टी भी कहा था. बीजेपी नेता देवेन्द्र फडनवीस ने भी 2019 के चुनावों से पहले कहा थी. चुनाव से पहले कहा था, चाहे कुछ हो जाए बीजेपी एनसीपी के साथ नहीं आएगी, हमने विधानसभा में एनसीपी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है.

बीजेपी की वाशिंग मशीन

बीजेपी की वाशिंग मशीन शब्द भारतीय राजनीति में एक शक्तिशाली प्रतीक बन चुका है. विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और अन्य गैर-बीजेपी दल, इस शब्द का उपयोग यह बताने के लिए करते हैं कि बीजेपी में शामिल होने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेताओं को छवि साफ हो जाती है. इतनी ही नहीं ED और CBI जैसी एजेंसियों के छापे और जांच भी अचानक रुक जाते हैं. जिससे यह धारणा बनती है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को संरक्षण देती है.

अजित पवार के अलावा, कई अन्य नेताओं के उदाहरण इस दावे को बल देते हैं. उदाहरण के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, जो पहले कांग्रेस में थे, पर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे. लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद, उनके खिलाफ जांच ठंडे बस्ते में चली गईं. इसी तरह, महाराष्ट्र में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे, जिन्होंने 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को तोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन किया को भी क्लीन चिट मिलती दिखाई दी. बंगाल में शुभेंदु का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है.

सोलापुर में अजित पवार की कथित पैरवी

सोलापुर में अवैध खनन के मामले में अजित पवार की कथित पैरवी ने इस धारणा को चुनौती दी है कि बीजेपी के साथ आने के बाद लोग ईमानदार हो जाते हैं. वायरल वीडियो में अजित पवार का नाम अवैध खनन से जोड़ा गया है. जिसमें उन्होंने कथित रूप से इस गैरकानूनी गतिविधि में शामिल एक व्यक्ति की पैरवी करने की कोशिश की. यह घटना न केवल उनके पुराने भ्रष्टाचार के आरोपों को फिर से चर्चा में लाती है.इस घटना के बाद जाहिर है कि यह सवाल उठेगा ही कि क्या बीजेपी के साथ आने के बाद भी भ्रष्ट नेता अपनी आदत नहीं छोड़ते हैं? 

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