N. Raghuraman’s column – Why should youth pursue a career in ‘sustainability’? | एन. रघुरामन का कॉलम: युवाओं को ‘सस्टेनेबिलिटी’ में करियर क्यों खोजना चाहिए?

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8 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
आपके शहर में किस श्रेणी के कचरे का निस्तारण नगरीय निकाय कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द हो सकता है? आप जब तक सोच रहे हैं, मैं आपको हैदराबाद लिए चलता हूं- जो बड़ी संख्या में युवा आईटी प्रोफेशनल्स का शहर माना जाता है।
हर दिन, इस शहर में लगभग 9 हजार टन कचरा पैदा होता है। लेकिन इस कचरे के पहाड़ के नीचे दबा 750-800 टन कचरा नगर निकाय के कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन जाता है, वह भी रोजाना। हां, क्योंकि एक वक्त शहर में जो कभी-कभार का कचरा हुआ करता था, वह अब रोजाना की बात हो गई।
यदि आप अनुमान नहीं लगा पाए कि यह क्या है, तो मैं जवाब देता हूं : यह टेक्सटाइल यानी कपड़े का कचरा है। हैरानी की बात है कि इस टेक्सटाइल कचरे का कम से कम 40% रिसाइकल किया जा सकता है। लेकिन इस कार्य में शामिल लोग बताते हैं कि इसका अधिकांश हिस्सा लैंडफिल में फेंक दिया जाता है।
इन्हें लैंडफिल में फेंकने पर क्या होता है? ये मटेरियल विघटित नहीं होता। बल्कि मिट्टी में भीतर चला जाता है। कॉटन बायोडिग्रेडेबल है, लेकिन इसमें समय लगता है। असली चिंता सेमी-सिंथेटिक और सिंथेटिक कपड़ों की है, जो कतई विघटित नहीं होते। अनुमानत: महज एक शर्ट अपने जीवनकाल में तकरीबन 20 मिलियन माइक्रोप्लास्टिक छोड़ सकती है।
तो हम क्या कर सकते हैं? हम ऐसे कपड़े दान में नहीं दें, जो पहले ही फटे हुए या अनुपयोगी हैं। इनका बड़ा हिस्सा इतना क्षतिग्रस्त होता है कि इन्हें अप-साइकल भी नहीं किया जा सकता। अंततः ये लैंडफिल में ही जाते हैं। सिलाई व्यवसाय के लोगों को अपना कचरा आसान निस्तारण के लिए पृथक से इकट्ठा करना चाहिए, क्योंकि वे टेक्सटाइल कचरे में बड़ा योगदान देते हैं।
आपके और मेरे जैसे आम लोग ऐसे कपड़े दान कर सकते हैं, जो बेहतर स्थिति में हों। हम उस पुराने व्यवसाय को भी प्रमोट कर सकते हैं, जिसमें पुराने कपड़ों के बदले बर्तन दिए जाते हैं। वे जानते हैं कि आपके अनचाहे कपड़ों को कैसे अप-साइकल किया जाए।
नगरीय प्राधिकरण क्या कर सकते हैं? हर नगर पालिका में ठोस कचरा प्रबंधन विशेषज्ञों को उस युवा आबादी में कचरा प्रबंधन और इसके फायदों को लेकर जागरूकता बढ़ानी होगी, जिसे ‘यूज एंड थ्रो’ की आदत पड़ गई है। सामान्य जागरूकता के साथ ही यदि उन्हें सिलाई व्यवसाय वाले चुनिंदा क्षेत्रों में टेक्सटाइल कचरा मिले तो वे वहां अलग से कपड़ों का संग्रहण करके उन व्यवसायों की मदद कर सकते हैं।
अब मेरा पसंदीदा विषय कि युवा क्या कर सकते हैं? कई शीर्ष कंपनियों में सीएसओ एक नया पद है। इसका अर्थ है ‘चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर’। यह पद तब सृजित हुआ, जब कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई।
निवेशकों के भारी दबाव और किसी कंपनी की ब्रांड इमेज को लेकर अत्यधिक संवेदनशीलता के कारण, आईपीओ का रास्ता अपनाने वाली अधिकांश कंपनियां यह पद सृजित कर रही हैं। भारत में कई विनिर्माण क्षेत्रों ने इन दिनों महसूस किया है कि सस्टेनेबिलिटी परफॉर्मेंस मुनाफे के साथ ही कंपनी की प्रगति का आकलन करने के लिए भी प्रमुख संकेतकों में से है।
सीएसआर की तरह लैंगिक समानता, रिश्वत निरोधी प्रावधान, पारदर्शिता और पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी भी ब्रांड छवि बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विदेशों में सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर कंपनी का चेहरा बन गए हैं, क्योंकि युवा ऐसे उत्पाद खरीदना चाहते हैं- जिनसे कार्बन उत्सर्जन ना हो, या बहुत कम हो। इसलिए मुनाफा कमाने के लिए यह क्षेत्र अहम हो गया है।
अगर आप एमबीए कर रहे हैं तो ‘सस्टेनेबिलिटी’ चुनें। यह सामुदायिक विकास में मदद करने वाले किसी भी गैर लाभकारी संगठन में आपके लिए कुछ भूमिकाओं के दरवाजे खोल सकता है। याद रखें, एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर हर व्यक्ति रोजाना 1.5 किलोग्राम कचरा फेंकता है। और यह केवल नगरीय निकायों के लिए ही नहीं, बल्कि पृथ्वी के लिए भी सिरदर्द बन रहा है।
फंडा यह है कि सस्टेनेबिलिटी पहले भी अच्छी थी और आज भी बहुत अच्छी है। सस्टेनेबिलिटी सीखना शुरू करें, क्योंकि भविष्य में इसकी मांग बढ़ने वाली है।
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