Wednesday 15/ 10/ 2025 

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‘ये चीन Vs वर्ल्ड है…’, रेयर अर्थ मिनरल्स पर अमेरिका ने ड्रैगन के खिलाफ मांगा भारत का सपोर्ट – china vs world india Scott Bessent us rare earth minerals ntc

अभी दुनिया में एक नई राजनीतिक और आर्थिक स्थिति बन रही है. अमेरिका चाहता है कि भारत और यूरोप उसके साथ मिलकर चीन के रेयर अर्थ मिनरल्स पर नियंत्रण को रोकें. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ अमेरिका भारत पर भारी टैरिफ लगा रहा है और दूसरी ओर भारत से ही सहयोग की उम्मीद कर रहा है.

दरअसल, अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से जब पूछा गया कि अमेरिका रेयर अर्थ मिनरल्स पर चीन के नियंत्रण से खुद को कैसे अलग रखेगा तो उन्होंने फॉक्स न्यूज से कहा, “हमें भारत और यूरोपीय देशों से समर्थन की उम्मीद है.”

अमेरिकी अधिकारी का यह बयान सतह पर तो सामान्य लग रहा था, लेकिन अमेरिका की अपनी व्यापार नीति को देखते हुए इसे विरोधाभासी माना जा रहा है. कारण, अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया हुआ है और भारत से ही चीन के खिलाफ एकजुट होने की उम्मीद भी की जा रही है. वहीं इससे पहले तक खुद बेसेंट भारत के खिलाफ खुलकर बयान देते रहे हैं.

बेसेंट ने इसे वैश्विक युद्ध के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा, “यह चीन बनाम वर्ल्ड है. हम इसे नहीं होने देंगे. चीन एक कमांड-एंड-कंट्रोल अर्थव्यवस्था है. हम अलग-अलग तरीकों से अपनी संप्रभुता का दावा करेंगे. हम पहले से ही सहयोगियों के संपर्क में हैं. हम इस हफ्ते उनसे मिलेंगे. मुझे यूरोपीय देशों, भारत और एशिया के लोकतंत्रों से पर्याप्त वैश्विक समर्थन मिलने की उम्मीद है और हम निर्यात प्रतिबंधों और निगरानी को जारी नहीं रहने देंगे.”

चीन पर युद्ध फंडिंग का आरोप लगाया

बेसेंट ने चीन पर आक्रामक कदम उठाने और युद्ध को फंडिंग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि चीन की रेयर अर्थ मिनरल्स निर्यात पर रोक न केवल अमेरिका के लिए बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा है. उन्होंने दावा किया, “अमेरिका दुनिया में शांति के लिए प्रयास कर रहा है, जबकि चीन युद्ध को वित्तपोषित कर रहा है.”

विश्लेषकों ने विरोधाभास पर दिलाया ध्यान

बातचीत के दौरान विश्लेषकों ने बेसेंट को विरोधाभास पर ध्यान दिलाया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने संभावित बैठक से पहले टेंशन कम करने के लिए 1 नवंबर तक चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ को टाल दिया है. वहीं अमेरिका जिस भारत से सहयोग की उम्मीद कर रहा है, उस पर टैरिफ लागू है.

बेसेंट ने इस विरोधाभास को नजरअंदाज करते हुए कहा कि अमेरिका अलगाव नहीं चाहता बल्कि जोखिम कम करना चाहता है. उन्होंने कहा, “हम अलगाव नहीं चाहते. हम जोखिम कम करना चाहते हैं. महत्वपूर्ण खनिज, अर्धचालक स्वतंत्रता और फार्मास्युटिकल उद्योग को देश में लाना इसका हिस्सा है, और यह सब अमेरिका फर्स्ट एजेंडा के तहत हो रहा है.”

चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स निर्यात नियम किए सख्त

बता दें कि पिछले हफ्ते चीन ने अमेरिकी जहाजों पर शुल्क लगा दिया क्योंकि वाशिंगटन ने निर्यात संबंधी अपने नियमों का विस्तार किया है. रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर चीन के नवीनतम प्रतिबंधों ने वाशिंगटन की चिंताएं बढ़ा दी हैं. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से अमेरिकी रक्षा उद्योग प्रभावित हो सकता है और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को आगामी व्यापार वार्ता में राष्ट्रपति ट्रंप पर दबाव का अवसर मिल सकता है.

अमेरिकी सैन्य शक्ति में रेयर अर्थ मिनरल्स का महत्व

रेयर अर्थ मैग्नेट्स अमेरिका की सैन्य तकनीक का आधार हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार ये F-35 लड़ाकू विमान, वर्जीनिया और कोलंबिया श्रेणी की पनडुब्बियों, प्रीडेटर ड्रोन, टोमहॉक मिसाइल और उन्नत राडार व प्रिसिजन गाइडेड बम प्रणाली में इस्तेमाल होते हैं.

चीन की आपूर्ति श्रृंखला में प्रभुत्व उसे वैश्विक स्थिति में अग्रणी बनाता है. चीन विश्व के लगभग 60 प्रतिशत खनन और 90 प्रतिशत परिष्करण (refining) पर नियंत्रण रखता है. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, वर्तमान में अमेरिका के रेयर अर्थ मिनरल्स आयात का लगभग 70 प्रतिशत चीन से आता है.

भारत की रेयर अर्थ मिनरल्स की क्षमता

भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स का बड़ा भंडार मौजूद है, विशेषकर मोनाजाइट खनिज, लेकिन उसकी संसाधन और परिष्करण क्षमता चीन के मुकाबले काफी पीछे है. भारत ने नेशनल क्रिटिकल माइनरल स्टॉकपाइल (NCMS) लॉन्च करने की योजना बनाई है, ताकि स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च तकनीक निर्माण के लिए आवश्यक रेयर मिनरल्स की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके. इस योजना के तहत सरकार ने 500 करोड़ रुपये भी आवंटित किए हैं ताकि आपूर्ति में किसी भी तरह के झटके से बचा जा सके और घरेलू उद्योगों को लगातार सामग्री मिलती रहे.

भारत में अनुमानित 7.23 मिलियन टन दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड मोनाजाइट के 13.15 मिलियन टन भंडार में मौजूद है. ये मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, और कुछ हिस्सों में पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र में पाए जाते हैं.

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