Tuesday 28/ 10/ 2025 

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Sanjay Kumar’s column: Women in Bihar vote more than men | संजय कुमार का कॉलम: बिहार में महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोट देती हैं

4 घंटे पहले

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संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार - Dainik Bhaskar

संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार

बिहार में ज्यादातर राजनीतिक दल महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के वादे करने में व्यस्त हैं। सत्तारूढ़ दल ने तो ऐसी योजनाओं की घोषणा कर ही दी है। कहना मुश्किल है कि ये घोषणाएं महिलाओं के वोट को अपने पक्ष में करने में कितनी मदद कर पाएंगी। लेकिन पिछले चुनावों पर नजर डालने से दो बातें पता चलती हैं- पहली महिलाओं की बढ़ी हुई चुनावी भागीदारी और दूसरी विधानसभा में महिलाओं का बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व।

इन दो फैक्टर्स ने बिहार चुनावों में महिला मतदाताओं को सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण बना दिया है। बिहार के पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के मतदान के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन चुनावों (2010, 2015 और 2020) में महिलाओं के मतदान प्रतिशत ने अलग-अलग अनुपात में पुरुषों के मतदान प्रतिशत को पीछे छोड़ दिया है।

इसी तरह, बिहार विधानसभा में निर्वाचित होने वाली महिलाओं की संख्या के आंकड़े वर्तमान सदन में महिलाओं के उच्च प्रतिनिधित्व (11%) का संकेत देते हैं। बिहार उन कुछ राज्यों में से एक है, जहां महिला मतदाता बहुत पहले से ही पुरुषों से ज्यादा मतदान करती आ रही हैं। 2010 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 3.4% ज्यादा था, जबकि 2015 में यह 7.2% अधिक था।

2020 में भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 5.2% ज्यादा रहा। लेकिन 2020 में पूरे राज्य में मतदान प्रतिशत एक समान नहीं था। तीन चरणों वाले 2020 के चुनाव के पहले चरण में, महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 2% कम रहा (पुरुषों का 56.4%, महिलाओं का 54.4%), लेकिन दूसरे चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 6% अधिक रहा (पुरुषों का 53.3%, महिलाओं का 59.2%)।

तीसरे और अंतिम चरण में, महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 10.7% अधिक रहा (पुरुषों का 54.7%, महिलाओं का 65.5%)। कुछ अन्य पैटर्न भी सामने आते हैं। कुछ जिलों में अन्य जिलों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत काफी अधिक रहा।

उत्तर बिहार के जिलों में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत सामान्यतः अधिक रहा, जबकि दक्षिण और मध्य बिहार के जिलों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत कम रहा। पुरुषों की तुलना में महिलाओं का सबसे अधिक मतदान सुपौल जिले में देखा गया, जहां यह पुरुषों की तुलना में 16% अधिक रहा। उत्तर बिहार के अन्य जिलों जैसे दरभंगा, मधुबनी, अररिया, सीतामढ़ी, मधेपुरा, पूर्णिया, किशनगंज, शिवहर, कटिहार और समस्तीपुर में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगभग 10% अधिक रहा।

कुछ अन्य जिलों जैसे गोपालगंज, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, सहरसा और सीवान में भी महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले। 2025 में, इनमें से ज्यादातर जिलों में 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होगा। रोहतास, पटना, अरवल, बक्सर, भोजपुर, जहानाबाद, कैमूर, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा और शेखपुरा जैसे कुछ जिलों में महिलाओं का मतदान पुरुषों से कम रहा है। इनमें से ज्यादातर जिलों में आगामी चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होगा।

महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के बीच संबंध स्थापित करना मुश्किल है, लेकिन चुनावी भागीदारी में वृद्धि के साथ-साथ एक और कहानी भी है- बिहार विधानसभा में महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व की।

आंकड़े बताते हैं कि 1985 से फरवरी 2005 के बीच बिहार विधानसभा के लिए चुने गए सभी विधायकों में महिलाओं की संख्या 6% से भी कम थी। 2005 में ही यह संख्या 10% रही। तब से, सभी चुनावों में 10% से अधिक महिलाएं बिहार विधानसभा के लिए चुनी गई हैं और 2010 में तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व 14% था।

इस बार सबसे अधिक सीटों (143) पर चुनाव लड़ रही राजद ने 16.8% महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने केवल 8.6% महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। जेडी(यू) और बीजेपी क्रमशः 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, दोनों पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को 13.1% टिकट दिए हैं।

बिहार में राजनीतिक दलों द्वारा टिकटों की घोषणा कर दी गई है। इसमें यह आभास तो होता है कि महिला मतदाताओं के महत्व को समझते हुए पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को ज्यादा टिकट दिए हैं, हालांकि पर्याप्त संख्या में नहीं। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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