‘संकट में भारत ने की थी मदद…’, मालदीव के विक्ट्री-डे पर चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति को आई ‘ऑपरेशन कैक्टस’ की याद – Maldives pro China former president Yameen praises India for its assistance in foiling 1988 coup ntc

मालदीव के चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने सोमवार को भारत की सराहना करते हुए 1988 में भाड़े के विदेशी सैनिकों द्वारा चुनी गई सरकार के तख्तापलट को नाकाम करने में दिल्ली की मदद को याद किया. उन्होंने ‘विक्ट्री डे’ के मौके पर कहा कि 3 नवंबर मालदीव के सैनिकों की वीरता के साथ-साथ जरूरत के समय भारत की मदद की याद दिलाता है.
यह द्वीपीय राष्ट्र 3 नवंबर को ‘विक्ट्री डे’ के रूप में सेलिब्रेट करता है. वर्ष 1988 में 3 नवंबर को देश के इतिहास में सबसे घातक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को सत्ता से बेदखल करने के लिए हमला किया गया था. तख्तापलट की इस असफल कोशिश में मालदीव के 19 नागरिक मारे गए थे, जिनमें 8 सैनिक थे. दर्जनों अन्य घायल हुए थे.
भारत ने चलाया था ऑपरेशन कैक्टस
मालदीव में 1988 में तख्तापलट का प्रयास श्रीलंकाई और मालदीव के कुछ समूहों द्वारा किया गया था, जिनका नेतृत्व व्यवसायी अब्दुल्ला लुथुफी कर रहे थे. तख्तापलट की इस कोशिश में श्रीलंका के एक तमिल अलगाववादी संगठन, पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) के सशस्त्र लड़ाके अब्दुल्ला लुथुफी की सहायता कर रहे थे. भारत ने ऑपरेशन कैक्टस चलाकर मालदीव की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास विफल कर दिया था.
यह भी पढ़ें: मालदीव में PM मोदी के लिए उमड़ा प्यार, मुइज्जू ने की दिल खोलकर तारीफ… तो चीन को लग गई मिर्ची!
संकट की इस घड़ी में मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से मदद मांगी थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने 9 घंटे के अंदर हवाई और समुद्री मार्ग से पैरा कमांडो भेजकर तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर दिया था. भारतीय नौसेना ने मालदीव छोड़कर भाग रहे भाड़े के विदेशी सैनिकों को एक मालवाहक जहाज पर पकड़कर मालदीव के हवाले कर दिया था.
राष्ट्रपति रहते चीन के समर्थक थे यामीन
चीन समर्थक मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम द्वारा भारत की तारीफ करना, कई लोगों को हैरत में डाल गया. क्योंकि उन्होंने 2013-18 के अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में ‘इंडिया आउट’ कैम्पेन चलाया था, जिसमें भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग की गई थी. यामीन और मौमून सौतेले भाई हैं. वे दोनों शेख अब्दुल गयूम इब्राहिम के पुत्र हैं, लेकिन अलग-अलग माताओं से.
यामीन ने ‘इंडिया आउट’ का दिया नारा
मालदीव का राष्ट्रपति रहते हुए अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने चीन के साथ निकट संबंध स्थापित करने की कोशिश की थी, जिससे भारत-मालदीव संबंध प्रभावित हुए थे. भारत समर्थक मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के हाथों सत्ता गंवाने के बाद यामीन को भ्रष्टाचार के आरोप में 11 साल जेल की सजा हुई. वर्तमान में वह अपने राजनीतिक शिष्य राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के 2023 में सत्ता में आने के बाद से उनके घर में नजरबंद हैं. मोहम्मद मुइज्जू ने भी मालदीव के आम चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था और देश में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को मुख्य मुद्दा बनाया था.
यह भी पढ़ें: मालदीव के स्वतंत्रता दिवस में चीफ गेस्ट बने PM मोदी, मुइज्जू बोले- बेहतर भविष्य के लिए रास्ता खुला
आर्थिक संकट से जूझ रहे मालदीव को भारत से बड़ी आर्थिक सहायता मिलती है. भारत ने जब मालदीव को दी जाने वाले ऋणमुक्त सहायता बंद करने की चेतावनी दी, तो मुइज्जू के तेवर नरम पड़ गए. उन्होंने भारत द्वारा डोनेट किए गए डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टरों को भारत के सिविलियन स्टाफ से चलाने की अनुमति दी. मुइज्जू ने भारत की यात्रा की और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने इस साल जुलाई में मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था.
—- समाप्त —-
Source link