Monday 01/ 12/ 2025 

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गजब है MP! मेट्रो स्टेशन बनने के बाद पता चला कि ऊंचाई है कम, फिर लगाया गया ये जुगाड़ – Bhopal metro station built low height controversy begins after 90 degree bridge lcly

भोपाल में 90 डिग्री वाले पुल को लेकर जहां देश भर में इंजीनियरिंग का मजाक उड़ा था. लगता नहीं कि उससे कोई सबक लिया गया है. क्योंकि राजधानी में बन रहे मेट्रो प्रोजेक्ट में भी एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां करीब दो साल तक मेट्रो स्टेशन को बनाने का काम चला और यातायात को डायवर्ट किया गया. लेकिन जैसे ही मेट्रो स्टेशन बनने के बाद सड़क को यातायात के लिए खोला गया तो मालूम चला कि सड़क से मेट्रो स्टेशन की ऊंचाई कम रह गई है.

मेट्रो स्टेशन को सड़क से कम से कम होना चाहिए 5.5 मीटर ऊंचा

पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय विद्यालय मेट्रो स्टेशन के नीचे वाले पिलर्स के ऊपरी हिस्से से ऊंची गाड़ियां रगड़ खाती हुई गुजर रही थीं. जिससे पिलर को भी नुकसान पहुंच रहा था और कुछ एक जगह से पिलर का सीमेंट भी गाड़ियों की रगड़ से टूट कर नीचे गिर गिया. जिसके बाद मेट्रो स्टेशन के नीचे की सड़क और मेट्रो स्टेशन की ऊंचाई को मापा गया तो वो कम निकली.

यह भी पढ़ें: भोपाल के 90 डिग्री आरओबी के बाद इंदौर में बनाया Z ब्रिज! सवाल उठे तो MP सरकार ने दी ये सफाई

अब दो साल तक काम चलने के बाद बने मेट्रो स्टेशन को तो ऊंचा किया जा नहीं सकता तो एजेंसियों ने जुगाड़ निकाला और नीचे से गुजर रही उस सड़क को ही खोद डाला. जिसे कुछ समय पहले ही बनाया गया था. नियम के मुताबिक किसी भी मेट्रो स्टेशन को सड़क से कम से कम 5.5 मीटर (18 फीट) ऊंचा होना चाहिए. लेकिन इस मेट्रो स्टेशन को बनाते समय इसे नजरअंदाज किया गया और जब मेट्रो स्टेशन बनने के बाद सड़क को ट्रैफिक के लिए खोला गया तो ऊंचे ट्रक मेट्रो से रगड़ खाते हुए निकलने लगे. जिसे पूरे मेट्रो स्टेशन के लिए खतरा खड़ा हो सकता था.

लिहाजा अब मेट्रो ठेकेदार ने सड़क को खोद दिया है, ताकि रोड और मेट्रो स्टेशन के बीच का गैप बढ़ जाए और भारी वाहन बिना स्टेशन को छुए आसानी से नीचे से गुजर सके. हैरानी की बात तो यह है कि इस सड़क की दूसरी लेन (सुभाष नगर-एमपी नगर लेन) मेट्रो से काफी नीचे है और इस तरफ की लेन (एमपी नगर-सुभाष नगर लेन) साथ वाली लेन से करीब 2 फीट ऊंची है. यही कारण है कि इसी वाली लेन से गुजरने वाले भारी वाहन मेट्रो स्टेशन से रगड़ खा रहे थे.

पैसों की बर्बादी का ताजा उदाहरण

इस कारनामे को पैसों की बर्बादी भी कहा जा रहा है क्योंकि जिस सड़क को अब खोदा जा रहा है वो कुछ समय पहले ही बनकर तैयार हुई थी. मेट्रो निर्माण के चलते यह रास्ता खुदा हुआ था और बंद था. लिहाजा ट्रैफिक शुरू करने से पहले सड़क बनाई गई और करीब दो साल तक बंद रहने के बाद इस लेन को नवंबर 2024 में यातायात के लिए खोल दिया गया. लेकिन निर्माण में खामी के चलते रोड और मेट्रो स्टेशन का गैप कम रहने से जो समस्या सामने आई तो फिर रोड को दोबारा खोद दिया गया है. ताकि गैप को बढ़ाया जा सके.

सिर्फ यही नहीं, मेट्रो स्टेशन के नीचे रोड किनारे जो सिविल वर्क हुआ, पेवमेंट और टाइल्स लगी थी उन्हे भी डायवर्जन के चलते तोड़ दिया गया है. अगर यही सब काम मेट्रो स्टेशन के निर्माण के समय किया गया होता तो सिविल वर्क और पेवमेंट को तोड़ने की नौबत ही नहीं आती.

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