Bertrand Badre’s column: In the Age of AI, Remember How We Learn | बर्ट्रेंड बाद्रे का कॉलम: एआई के दौर में याद रखें कि हम किसी काम को कैसे सीखते हैं

9 घंटे पहले
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बर्ट्रेंड बाद्रे विश्व बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर
पियानोवादक कीथ जैरेट का कोलोन कॉन्सर्ट जैज इतिहास में इम्प्रूवाइजेशन की महानतम कृतियों में से है- बिना पूर्व तैयारी के एक घंटे की अनवरत संगीत-धारा। लेकिन जैरेट की यह उपलब्धि संयोग नहीं थी, यह हजारों घंटों के उस रियाज का नतीजा थी- जो पियानोवादक के रिफ्लेक्स और शारीरिक स्मृतियों को निखारता है।
ह्यूमन लर्निंग का विरोधाभास ही यही है कि किसी चीज में गहराई तक पैठे बिना आप उसकी सीमाओं के पार नहीं जा सकते। रूस के पीडियाट्रिक साइकोलॉजिस्ट लेव वायगोत्स्की ने इसे ‘जोन ऑफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट’ कहा है, जिसमें दोहराव सीमाओं को कौशल में बदल देता है।
इसी तरह, स्विस मनोवैज्ञानिक ज्यां पियाजे का मत है कि बुद्धिमत्ता आपके कार्यों और ज्ञान में बार-बार बदलाव से विकसित होती है। फिर ये सहज प्रकृति बन जाती है। सीखने का अर्थ है कि किसी फ्रैमवर्क पर इतना नियंत्रण स्थापित कर लो कि उसके परे जा सको।
यही बात साधारण से साधारण बौद्धिक कार्यों पर भी लागू होती है। सेवा या प्रौद्योगिकी पेशेवर पहले कोडिफाइड नियमों का पालन करना, फिर जटिल ढांचों को तोड़ना सीखते हैं। नोबेल विजेता डैनियल कानमैन ने इस परिवर्तन को ज्ञान के दो रूपों में अंतर से समझाया। सिस्टम 1- तेज, सहज और स्वचालित है, जबकि सिस्टम 2- धीमा, विश्लेषणात्मक और विचारपूर्ण है।
लेकिन अब एआई मनुष्य की इस वृत्ति के लिए खतरा बन गया है। हाल ही के एक अध्ययन में अमेरिका के लाखों पे-रोल रिकॉर्ड्स का विश्लेषण करने पर पाया गया कि 2022 के अंत से एआई से जुड़े अधिकतर व्यवसायों, जैसे कस्टमर सर्विस, कम्युनिकेशन और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में 22-25 वर्ष के युवाओं के रोजगार 13% कम हो गए हैं।
जबकि इन्हीं क्षेत्रों के वरिष्ठ कर्मचारी अप्रभावित रहे। ये अध्ययन दर्शाते हैं कि सबसे ज्यादा वो नौकरियां प्रभावित हुई हैं, जिनमें कार्यों को ऑटोमेट करने के लिए एआई का इस्तेमाल हो रहा है। दूसरी ओर, जिन नौकरियों में एआई मानव-क्षमताओं को बढ़ा रहा है, वे स्थिर हैं। यह अंतर इसलिए अहम है क्योंकि जिन कार्यों के ऑटोमेट होने का सर्वाधिक खतरा है, वे वही हैं जो कभी पेशेवर उन्नति के लिए अग्निपरीक्षा हुआ करते थे।
ऐसे में एआई उस बुनियाद को ही ध्वस्त कर सकता है, जिस पर अधिकतर वरिष्ठ कर्मचारियों का सहज-ज्ञान और निर्णय-क्षमता टिकी है। कोई भी बैंकर फाइनेंशियल मॉडल्स में कई रातों की माथापच्ची के बाद ही कुशल बैंकर बनता है। कोई इंजीनियर सैकड़ों छोटी-छोटी खामियों को सुधारकर ही किसी सिस्टम को समझ सकता है।
इस उबाऊ और कोडिफाइड काम का बार-बार दोहराव ही वो ज्ञान विकसित करता है, जो किताबों से नहीं सीखा जा सकता। लेकिन एआई से हम युवा पीढ़ियों को अपने दम पर आगे बढ़ने का रास्ता बताए बिना ही उनसे विकास-क्रम की उनकी सीढ़ियां छीन रहे हैं।
यदि हम सारा कोडिफाइड ज्ञान मशीनों को दे देंगे तो करके सीखना, महारथ हासिल करना और रचनात्मक स्वतंत्रता की आकांक्षा करना कठिन हो जाएगा। हमें किसी काम की पुनरावृत्ति की कीमत को समझना होगा। यह हमेशा थकाऊ नहीं होती, बल्कि यह एक संज्ञानात्मक निवेश है।
कंपनियों को ऐसे कार्य की रचनात्मक ताकत को पहचानना चाहिए। सरगम सीखे वाले बिना कोई संगीतकार निष्णात नहीं हो सकता। हमें वर्कफ्लो पर भी पुनर्विचार करना होगा। जो कंपनियां कुछ ऑटोमेट करने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रही हैं, उन्हें कुछ दूसरे काम विकसित करने चाहिए- ताकि युवा पेशेवर अभ्यास करें और गलतियों से सीख सकें। हमारी प्रगति दक्षता पर कम और इस पर अधिक निर्भर करती है कि काम को लगातार किया जाए।
(@प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
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