Tuesday 21/ 10/ 2025 

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कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी होगी खत्म? गुजरात में मॉडल अप्लाई, जिला अध्यक्षों की भूमिका होगी अहम

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (बीच में) के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी
Image Source : PTI
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (बीच में) के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी

गुजरात: साल 2025 को “संगठन सृजन वर्ष” घोषित करते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए व्यापक योजना पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत कांग्रेस अब पहले जिला, फिर प्रदेश की रणनीति को अपनाते हुए संगठन को विकेंद्रीकृत और प्रभावी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

सूत्रों के अनुसार, संगठन सृजन के इस काम का खाका तैयार करने में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की अहम भूमिका है। गुजरात में लागू हो रहे पायलट प्रोजेक्ट का पूरा ब्लूप्रिंट प्रियंका गांधी ने तैयार किया गया है। इस योजना के तहत 12 अप्रैल को गुजरात में 43 एआईसीसी ऑब्जर्वर, 7 सपोर्टिंग ऑब्जर्वर और 183 पीसीसी ऑब्जर्वर की नियुक्ति की गई है। इन नियुक्तियों का मकसद जिला स्तर पर संगठन को पुनर्गठित करना और जिला अध्यक्षों को ज्यादा ताकतवर बनाना है। इन ऑब्जर्वर्स में कई सीनियर नेता शामिल हैं, जिनमें बाला साहब थोराट, बी के हरिप्रसाद, माणिकम टैगोर, हरीश चौधरी, मीनाक्षी नटराजन, विजय इंदर सिंगला, अजय कुमार लल्लू, इमरान मसूद, धीरज गुर्जर और बी.वी. श्रीनिवास के नाम प्रमुख हैं। 15 अप्रैल को गुजरात में इन सभी ऑब्जर्वर्स की पहली बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

गुटबाजी पर लगेगा विराम?

इस पहल का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस संगठन में चली आ रही आंतरिक गुटबाजी को खत्म कर जिला अध्यक्षों को सशक्त बनाकर संगठन का विकेंद्रीकरण किया जाए। दरअसल, कांग्रेस संगठन में गुटबाजी के चलते अब तक प्रदेश अध्यक्ष या उनसे जुड़े लोग ही प्रदेश में जिला अध्यक्ष बनाए जाते रहे हैं। ऐसे में जमीनी स्तर पर जिलाध्यक्ष पार्टी की बजाय किसी एक नेता या गुट के हित में काम करने लगते थे। हरियाणा जैसे राज्य में कांग्रेस पार्टी लगभग एक दशक से गुटबाजी के चलते राज्य में प्रदेश इकाई का गठन नहीं कर पाई है।

इस नई प्रणाली में हर एआईसीसी ऑब्जर्वर को एक-एक जिला सौंपा जाएगा। उनके साथ चार-चार प्रदेश ऑब्जर्वर भी होंगे, जो ब्लॉक स्तर तक जाकर संभावित जिला अध्यक्षों के नामों पर चर्चा करेंगे। इन चर्चाओं की निगरानी एआईसीसी ऑब्जर्वर करेंगे और जमीनी फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट आलाकमान को सौंपी जाएगी। इसके बाद पार्टी का केंद्रीय संगठन जिला अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा।

जिला अध्यक्षों को तवज्जो

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी अब जिला अध्यक्षों को केवल संगठन संचालन तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि उन्हें चुनावी उम्मीदवारों के चयन में भी अहम भूमिका देने पर विचार कर रही है। गुजरात इस मॉडल को अपनाने वाला पहला राज्य बनेगा, जहां आगामी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों की राय निर्णायक होगी।

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