Tuesday 20/ 05/ 2025 

आज पंजाब के 3 चेक पोस्ट पर शुरू होगी रिट्रीट सेरेमनी, आम लोग नहीं देख सकेंगे; जानें क्योंयूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की जांच में बड़ा खुलासा, सारे वीडियोज में सुरक्षा एजेंसियों को मिला खास पैटर्नबेंगलुरु में आज सुबह से रुक-रुककर तेज बारिश, एक हफ्ते तक राज्य में कैसा रहेगा मौसम? यहां जानेंइंडियन एयर फोर्स ने दिखाई ताकत, जारी किया नया VIDEO; भारत के वायु वीरों का दिखा शौर्य‘भारत की रेंज में है पूरा पाकिस्तान, भले ही हटा लो सेना का मुख्यालय’, सेना के एयर डिफेंस ऑफिसर का बयान‘भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि सबको…’, सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंका के शख्स की याचिका खारिज की, जानें मामलाकब मिलेगी गर्मी से राहत? प्री-मानसून का दिखने लगा असर, जानिए किन-किन राज्यों में है बारिश का अलर्ट, IMD ने बतायासर्वदलीय डेलिगेशन को ‘बारात’ कहने पर शरद पवार ने संजय राउत को लगाई लताड़देवी मां के दर पर चोरों का घनघोर पाप, मंदिर से लाखों रुपये के आभूषण और सामान किया पार, कंप्यूटर तक उठा ले गए चोरकेंद्र ने सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ तुर्किये की कंपनी की याचिका का कोर्ट में किया विरोध, जानिए पूरा मामला
देश

87 में से 71 गवाह बयान से मुकरे, मृतक के बेटे ने भी हत्यारों को नहीं पहचाना, आरोपियों को बरी करने पर मजबूर हुआ सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court
Image Source : SUPREMECOURT
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में शुक्रवार को छह आरोपियों को भारी मन से बरी कर दिया। इस मामले के अधिकतर गवाह मुकर गए। इनमें मृतक का बेटा भी शामिल है। इसी वजह से कोर्ट हत्यारों को बरी करने पर मजबूर हुआ। इस “अनसुलझे अपराध” में कुल 87 गवाह थे, जिनमें से 71 अपने बयानों से मुकर गए। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के.विनोद चंद्रन की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के 27 सितंबर, 2023 के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें निचली अदालत के फैसले को निरस्त करके छह आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। 

न्यायमूर्ति चंद्रन ने पीठ की ओर से लिखे 49 पन्नों के फैसले में कहा कि इस अनसुलझे अपराध से जुड़े सबूतों के अभाव के परिप्रेक्ष्य में भारी मन से आरोपियों को बरी किया जाता है। पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए और निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हैं।’’ पीठ ने गवाहों के अदालत में मुकर जाने और “अति उत्साही” जांच पर दुख जताते हुए कहा कि जांच में “आपराधिक कानून के बुनियादी सिद्धांतों की पूरी तरह अनदेखी” की गयी, ऐसी परिस्थितियों में “अभियोजन पक्ष का अकसर मजाक बन जाता है”। 

कोर्ट ने कहा- यह विचित्र मामला

पीठ ने कहा, ‘‘गवाह अपने पूर्व के बयानों से मुकर जाते हैं, बरामदगी को पहचानने से इनकार करते हैं, जांच के दौरान बताई गई गंभीर परिस्थितियों से अनभिज्ञता जताते हैं और चश्मदीद गवाह अंधे हो जाते हैं। यह एक विचित्र मामला है, जिसमें कुल 87 गवाहों में से 71 मुकर गए, जिससे अभियोजन पक्ष को पुलिस और आधिकारिक गवाहों की गवाही पर निर्भर रहना पड़ा।’’ अदालत ने आगे कहा, ‘‘यहां तक ​​कि इस मामले का एक महत्वपूर्ण चश्मदीद गवाह मृतक का बेटा भी अपने पिता के हत्यारों की पहचान करने में विफल रहा।’’ 

आरोपियों को रिहा करने का आदेश

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पुलिस और आधिकारिक गवाहों की गवाही पर भरोसा किया। साक्ष्यों और गवाहों की गवाही का विश्लेषण करने के बाद, अदालत का “एकमात्र दृष्टिकोण” यह था कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ आरोपों को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा। न्यायालय ने कहा कि यदि अभियुक्त हिरासत में है और किसी अन्य मामले में इसकी आवश्यकता नहीं है, तो उसे रिहा किया जाए। 

क्या है मामला?

28 अप्रैल 2011 को कर्नाटक में दो भाइयों के बीच विवाद के चलते रामकृष्ण नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। हत्या के समय वह अपने बेटे के साथ टहलने निकलने थे। रामकृष्ण पहले एक भाई के लिए काम करते थे, लेकिन बाद में वह दूसरे भाई के लिए काम करने लगे। इसके बाद उनके छह पुराने साथियों ने रामकृष्ण की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन सबूतों और गवाह के अभाव में सभी को बीर कर दिया गया। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

Latest India News




Source link

Check Also
Close
Failed.