Ruchir Sharma’s column – The obsession with AI has overshadowed the threat posed by tariffs | रुचिर शर्मा का कॉलम: एआई के जुनून ने टैरिफ से हुए खतरों को कम किया है

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4 घंटे पहले
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रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर
इस वर्ष की शुरुआत में पूरी दुनिया एक बिंदु पर आश्चर्यजनक रूप से सहमत थी। यह कि यदि ट्रम्प ने टैरिफ लागू किए तो इससे डॉलर मजबूत होगा और स्टैगफ्लेशन (महंगाई जनित मंदी) पैदा होगा। चीफ एग्जीक्यूटिव्ज़, निवेशक और विश्लेषक, सभी यही कह रहे थे।
अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि टैरिफ दर में प्रत्येक प्रतिशत अंक की वृद्धि अमेरिकी विकास में 0.1% की कमी लाएगी और महंगाई की दर 0.1% बढ़ेगी। लेकिन अब तक के परिणाम उतने हानिकारक नहीं रहे हैं, जितना कि सभी को अंदेशा था।
विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि ट्रम्प की धमकियां अमूमन दिखावटी थीं। लेकिन अमेरिका की प्रभावी टैरिफ दर पहले ही 2.5% से बढ़कर 15% हो चुकी है। टैरिफ राजस्व 300 अरब डॉलर से अधिक की वार्षिक दर से आ रहा है, जो पिछले साल इस समय की तुलना में चार गुना है।
कई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि आयात कम होने से टैरिफ अपने आप ही डॉलर को मजबूत करेंगे। लेकिन इसके बजाय, 1970 के दशक की शुरुआत के बाद से अब तक इस साल की पहली छमाही में डॉलर को सबसे बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा।
इस अप्रत्याशित घटना के लिए यह तथ्य गिनाए जा रहे हैं कि इस साल की शुरुआत में ही डॉलर की कीमत ऐतिहासिक तौर पर बहुत अधिक थी। कई विदेशी निवेशक डॉलर परिसंपत्तियों में भारी निवेश कर रहे थे। बाद में उन्होंने इस जोखिम से बचते हुए अमेरिका के बाहर अधिक निवेश करना शुरू कर दिया।
कई दूसरे देश भी अब पैसा लगाने के लिए आकर्षक स्थल बनते जा रहे हैं, क्योंकि टैरिफ की धमकियों के चलते वे आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने और गैर-अमेरिकी साझेदारों के साथ व्यापार-सौदे बढ़ाने को प्रेरित हुए हैं।
बड़ा रहस्य यह है कि टैरिफ से जुड़ी महंगाई जनित मंदी का प्रभाव अब तक क्यों नहीं दिख रहा है? क्या अमेरिका बिना किसी आर्थिक परेशानी वास्तव में टैरिफ राजस्व से सालाना 300 अरब डॉलर कमा रहा है? कुछ अनुमानों के अनुसार, इस लागत का 20% भार तो वाकई में विदेशी निर्यातक उठा रहे हैं, जो उनके लिए पहले ट्रम्प शासन में टैरिफ के लिए दी गई राशि से बहुत अधिक है। लेकिन शेष 80% कीमत अभी भी अमेरिकी व्यापारिक कंपनियों और उपभोक्ताओं द्वारा लगभग बराबर के हिस्सों में चुकाई जा रही है।
इसका एक संभावित जवाब यह हो सकता है कि टैरिफ से पड़ने वाला नकारात्मक आर्थिक प्रभाव अन्य ताकतों से संतुलित हो रहा है, जिसमें एआई का जुनून और अन्य सरकारी प्रोत्साहन शामिल हैं। जनवरी से बड़ी टेक कंपनियों द्वारा एआई के बुनियादी ढांचे पर होने वाले खर्च का अनुमान अब 60 अरब डॉलर से बढ़कर 350 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
छोटे व्यवसाय भी इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि बढ़ रही है। इसके उत्साह ने व्यापार नीति की अनिश्चितता के प्रभावों के प्रति डर को खत्म कर दिया है। ऊंची ब्याज दरों के बावजूद एआई संचालित तेजी ने वित्तीय स्थितियों को सामान्य रखा है। फेडरल रिजर्व के नए सूचकांक के अनुसार शेयर मार्केट में बड़े पैमाने पर एआई में निवेश के कारण ऐसा हो रहा है।
इधर कर राहत के वादे ने भी अमेरिकी कंपनियों के लिए यह आसान कर दिया है कि वे टैरिफ कीमतों के अपेक्षा से अधिक बड़े हिस्से का भार उपभोक्ताओं पर डालने के बजाय खुद उठा लें। ट्रम्प के बिग ब्यूटीफुल बिल से भी उम्मीद है कि अमेरिकी व्यवसायों को कर राहतों से इस साल 100 अरब डॉलर की बचत होगी और अगले साल इससे भी ज्यादा।
इसका यह मतलब नहीं है कि टैरिफ का कोई नकारात्मक आर्थिक प्रभाव नहीं है। वास्तव में प्रमुख घरेलू उपकरणों, खेल सामग्री और खिलौनों के बढ़ते दामों में इसका असर पहले ही दिखने लगा है। लेकिन कारों और ऊर्जा समेत अन्य चीजों के गिरते दामों और किरायों ने महंगाई दर को नियंत्रित कर रखा है।
बड़ी टेक कंपनियों द्वारा एआई के बुनियादी ढांचे पर होने वाले खर्च का अनुमान अब 60 अरब डॉलर से बढ़कर 350 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। छोटे व्यवसाय भी इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि बढ़ रही है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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