मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपी बरी, ओवैसी बोले- क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी? – Malegaon verdict Owaisi questions Centres hypocrisy hopes decision will be challenged supreme court ntc

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने पर आतंकवाद पर बीजेपी सरकार के ‘पाखंड’ पर सवाल उठाया. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.
मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट द्वारा बरी किए गए सात आरोपियों में पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं. सितंबर 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास हुए धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे.
पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स में पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, “क्या महाराष्ट्र सरकार और मोदी सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी? या फिर वे आतंकवाद पर अपना पाखंड जारी रखेंगे. धमाके के 17 साल बाद आरोपियों का बरी होना चांज पर गंभीर सवाल खड़े करता है.”
‘RDX कहां से आया?’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “पहले हेमंत करकरे के नेतृत्व में मुंबई एटीएस ने मामले की जांच की, और फिर यह एनआईए के पास गया. जांच में भारी खामियां थीं. एनआईए द्वारा मिलिट्री-ग्रेड आरडीएक्स के इस्तेमाल की बात कहने के बावजूद, इस बात की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है कि वह आरडीएक्स कहां से आया था.”
ओवैसी ने 2006 के मालेगांव हमले और समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट सहित पहले हुए धमाकों का भी ज़िक्र किया और तर्क दिया कि कई मामलों में इंसाफ नहीं हुआ है.
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “समझौता एक्सप्रेस धमाके किसने किया? मक्का मस्जिद, अजमेर और मुंबई ट्रेन धमाकों के पीछे कौन था? 2006 के मालेगांव मामले में भी मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित किया गया. बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. तो असल में यह किसने किया?”
‘आतंकवाद पर दोहरे नजरिए…’
AIMIM चीफ ने आतंकवाद के मामलों में ‘दोहरे मानदंडों’ की भी आलोचना की और कहा, “आतंकवाद को लेकर दो नजरिए नहीं हो सकते. पीड़ितों के परिवारों को कोई राहत नहीं मिली है, चाहे वह मालेगांव हो, समझौता हो, मुंबई हो या फिर मक्का मस्जिद का मामला हो.”
असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी याद दिलाया कि कैसे 2015 में स्पेशल प्रोसिक्यूटर रोहिणी सालियान ने मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपियों पर नरम रुख अपनाने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था. उन्होंने सवाल करते हुए कहा, “2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर का नाम चार्जशीट में फिर से शामिल कर लिया. तो, इस गड़बड़ी के लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा?”
भगवा आतंकवाद के दावों पर बीजेपी के रुख पर निशाना साधते हुए, ओवैसी ने कहा, “क्या महात्मा गांधी की हत्या करने वाला चीनी था? राजीव गांधी की हत्या किसने की? इंदिरा गांधी की हत्या किसने की?”
ओवैसी ने केंद्र सरकार से मुखातिब होते हुए कहा कि केंद्र को यह साफ करना चाहिए कि वो बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील करने का इरादा रखती है या नहीं. उन्होंने कहा, “अगर असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, तो देश को यह जानने का अधिकार है कि 2008 में मालेगांव में बम विस्फोट किसने किया था?”
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