Technology can find solutions for ‘business critical’ systems | एन. रघुरामन कॉलम: तकनीकी ‘बिजनेस क्रिटिकल’ प्रणालियों के समाधान खोज सकती है

12 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
इस सोमवार मैं एक कॉलेज के मालिक के साथ खड़ा था, जो नए विद्यार्थियों के आगमन की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे थे। एक एचआर प्रमुख ने दिन के अंत तक लगभग 5 हजार फॉर्म प्रिंट करने की अनुमति मांगी। इस फॉर्म के जरिए छात्रों से उनके जीवन के लक्ष्यों को लिखित रूप में लेना था।
लेकिन प्रिंट की अनुमति देने के बजाय मालिक ने आईटी विभाग से कहा कि मैं चाहता हूं कि ये सभी विवरण 24 घंटों में ईआरपी सिस्टम में शामिल किए जाएं और इसका एक्सेस सभी छात्रों को मोबाइल पर दिया जाए, ताकि वे कॉलेज में कहीं भी बैठकर यह चार पेज का फॉर्म भर सकें।कॉलेज मालिक का विचार था कि हर विद्यार्थी के लक्ष्यों को पहले ही दिन से उसके कैंपस में रहने की अवधि के दौरान की गई प्रगति के साथ मैप किया जाए।
और मुझ पर भरोसा करें यह सुनकर आईटी विभाग को चक्कर आने लगे। पूरे दिन आईटी प्रमुख ने मालिक से संपर्क कर समझाने की कोशिश की कि सैकड़ों लोगों को सिस्टम का एक्सेस देना असंभव है। पर वे विफल रहे। मालिक चाहते थे कि भले ही पूरी रात काम करें, लेकिन विद्यार्थियों के आने से पहले यह पूरा हो जाए और यह हो भी गया।
आज संगठनों में आईटी विभागों को बहुत सारे काम करने पड़ते हैं- तकनीकी सहायता संबंधी सवालों का जवाब देने से लेकर कर्मचारियों (उपरोक्त मामले में छात्रों) को लैपटॉप, कंप्यूटर और फोन पर एक्सेस देने तक।यही कारण है कि स्टार्टअप अब “सिस्टम ऑफ इंटेलिजेंस’ बनाकर इन सामान्य आईटी कार्यों को ऑटोमेट करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं, जो कई डेटा सिस्टमों को साथ जोड़कर यह समग्र परिदृश्य दिखाता है कि कंपनी के आईटी विभाग में क्या चल रहा है।
ऐसा ही एक स्टार्टअप है अमेरिका का “एक्सपीरियंसऑप्स’- जिसे “एक्सऑप्स’ के नाम से भी जानते हैं। यह स्टार्टअप- जो 4 करोड़ डॉलर जुटा कर टेक वेंडर्स के बीच लोकप्रिय हो गया है- मानता है कि एआई द्वारा आईटी को सुव्यवस्थित किया जा सकता है। इससे अपेक्षा है कि यह किसी कर्मचारी के लैपटॉप/मोबाइल के पूरे जीवन-चक्र को प्रबंधित करने के ढर्रे को बदल देगा, जिसमें पहले मैन्युअल प्रक्रिया के तहत हर कदम पर आईटी स्टाफ शामिल होता था।
यह स्टाफ किसी नए कर्मचारी (या एक्सेस चाहने वाले छात्रों) के लिए जरूरी चीजों के चयन से डिलीवरी तक का काम करता था। इसके बाद दोपहर में मैंने एक दोस्त से बात की, जो इस वीकेंड बीजिंग में विश्व ह्यूमनॉइड रोबोट गेम्स में भाग लेने गए थे। वहां 500 रोबोटिक ह्यूमनॉइड प्रतियोगियों ने बक्से ले जाने, सामान पहुंचाने से लेकर सामान्य हाउसकीपिंग या सफाई जैसे रोजमर्रा के ऐसे काम पूरे करने की प्रतियोगिता की, जो आप या मैं कुछ सेकंड में कर देते हैं।
कुछ रोबोट तो कुछ कार्य करने में उल्लेखनीय रूप से स्मार्ट थे, लेकिन अधिकांश अनाड़ी और गैर-भरोसेमंद थे। एक रोबोट को एक नकली होटल के कमरे से कबाड़ के नौ टुकड़े फेंकने में 17 मिनट लगे, जो आप और मैं एक मिनट में कर सकते हैं। कुछ रोबोटों ने एक प्लास्टिक बैग को कचरे के डिब्बे में फेंकने की कोशिश की, लेकिन चूक गए, जबकि उन्हें दो माह प्रशिक्षण दिया गया था।
दोस्त ने बताया कि एक दरवाजे से बाहर-भीतर निकलना और नौ बेकार चीजों को उठाने और फेंकने के लिए एक बिस्तर और कुछ फर्नीचर वाले कमरे से होकर गुजरना तो रोबोट्स के लिए धैर्य की परीक्षा जैसा हो गया। एक फार्मेसी सिमुलेशन में एक रोबोट को दवा के तीन डिब्बे उठाने और लाने में पांच मिनट लगे। जबकि एक नकली कारखाने में उसने दो बड़े कंटेनरों को केवल दो मिनट में ही निर्धारित शेल्फ पर रख दिया।
यह क्या दिखाता है? इंसानों के लिए आसान हर चीज रोबोटों के लिए एक चुनौती है। फिर भी उम्रदराज आबादी और घटते कार्यबल से जूझ रहे चीन को उम्मीद है कि ह्यूमनॉइड रोबोट कुछ बोरिंग और जोखिमभरे कार्यों में इंसानों की जगह ले सकते हैं।
फंडा यह है कि नकरियर बनाने के इच्छुक तकनीकी क्षेत्र के लोगों को उन “मिशन-क्रिटिकल’ और “बिजनेस-क्रिटिकल’ प्रणालियों से निपटने के उपाय सुझाने पर ध्यान देना होगा, जिनका सामना उद्यमी अपने कार्यस्थलों पर कर रहे हैं।
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