Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Use discretion while praising and listening to someone | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: प्रशंसा करते व सुनते समय विवेक का प्रयोग करिए

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48 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
कभी-कभी कुछ प्रश्नों का उत्तर हमारे पास ही होता है, लेकिन हम पूछते दूसरों से हैं, क्योंकि विवेक की कमी है। गणेश चतुर्थी के दिन यह संकल्प लेना चाहिए कि हम विवेक को जगाए रखेंगे। सरस्वती जी बुद्धि की देवता हैं और गणेश जी विवेक के।
यदि विवेक का सहारा न मिला तो बुद्धि का पतन हो जाएगा। और इसीलिए आज बड़े से बड़े बुद्धिमान गलत काम करते हुए दिखते हैं। जैसे प्रशंसा करते समय और प्रशंसा सुनते समय विवेक का प्रयोग करिए। किसी की प्रशंसा करें तो उसमें सत्य पूरी तरह से बना रहे।
उनकी सादगी का उदाहरण दें। केवल परिणाम पर ना टिकें, उस तरीके पर अधिक बोलें, जो उन्होंने अपनाया है। उन्होंने जिस संघर्ष और सम्बल से काम किया हो, हमारे प्रशंसा के शब्द उसको स्पर्श करें। और जब प्रशंसा ले रहे हों, तब भी अत्यधिक सावधानी रखें।
इसे संस्कार मान ग्रहण करिए। हो सकता है सामने वाला चापलूसी कर रहा हो या कोई षड्यंत्र अपना रहा हो तो आप उसके सकारात्मक पहलू को निकाल लें। क्योंकि प्रशंसा यदि ठीक से पचाई नहीं गई तो सद्पुरुष का भी पतन हो जाता है।
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