Column by Pandit Vijayshankar Mehta- Connect the teachings and indications given in religious scriptures to life | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: धर्मग्रंथों में दी गई सीख और संकेतों को जीवन से जोड़ें

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3 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
हमारे जीवन में कुछ पुस्तकें जरूर होनी चाहिए। और जब भी कोई उलझन या भटकाव आए, उन पुस्तकों को पढ़ें। फिर वो चाहे गीता हो, महाभारत, रामचरितमानस, भागवत, बाइबिल, कुरान या और कोई पुस्तक। उनमें जो संकेत दिए हैं, पंक्तियों के बीच उनको ढूंढते रहें।
ऐसे ग्रंथ पढ़ने का अर्थ ही यह है कि उसका भावार्थ उठाया जाए और उसको जीवन से जोड़ा जाए। आज की पीढ़ी को कुछ बातें आज के उदाहरण से ही समझ में आती हैं। हमारे देश का जो सबसे बड़ा सत्ताधारी दल है, वो जब चौंकाने वाला निर्णय लेता है तो लोगों को लगता है यह बड़ा आश्चर्यजनक है। लेकिन उनके अतीत के राजनेताओं ने कुछ गहरी पुस्तकें लिखी हैं।
और जो निर्णय आज लिए जा रहे हैं, उनका वर्णन उन पुस्तकों में हो चुका है। तो ये सबक लेने वाली बात है कि यदि ऊंचाई पर जाना है तो ग्रंथों को पढ़ो। ऊंचाई पर टिकना है तो लगातार उन ग्रंथों में जो सीख दी गई है, जो संकेत हैं- उनको जीवन से जोड़ो। भले ही एक पृष्ठ रोज पढ़ें, पर पढ़िए जरूर।
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