Ruchir Sharma’s column: The world is starting to consider AI a magic wand | रुचिर शर्मा का कॉलम: एआई को जादू की छड़ी मानने लगी है दुनिया

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8 घंटे पहले
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रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ते खतरों के बावजूद उसकी बड़ी कंपनियां और निवेशक बेफिक्र दिख रहे हैं। ऊंचे टैरिफ से लेकर ढहती इमिग्रेशन नीति, संस्थानों का क्षरण, कर्ज और लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति भी उन्हें बेचैन नहीं करती। क्योंकि उन्हें पूरा यकीन है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इतनी बड़ी ताकत है कि यह सभी चुनौतियों का सामना कर सकती है!
हाल के समय में यह एआई-आशावाद और बढ़ गया है। एआई में निवेश कर रही कंपनियां अरबों डॉलर लगा रही हैं। इसकी इस साल अमेरिकी जीडीपी वृद्धि में आश्चर्यजनक रूप से 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। और कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह अनुमान भी एआई पर खर्च को पूरी तरह से नहीं दर्शाता है, वास्तविक हिस्सेदारी और भी ज्यादा हो सकती है!
2025 में अभी तक अमेरिकी शेयरों में हुई 80 प्रतिशत बढ़त एआई कंपनियों की ही रही है। इससे अमेरिकी विकास को वित्तपोषित करने और उसे गति देने में मदद मिल रही है, क्योंकि एआई-संचालित शेयर बाजार दुनिया भर से पैसे खींचता है और अमीरों द्वारा उपभोक्ता खर्च में उछाल को बढ़ावा देता है।
चूंकि आबादी के सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों के पास अमेरिका के 85 प्रतिशत शेयर हैं, इसलिए जब शेयर बाजार में तेजी आती है, तो उनकी संपत्ति पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि नवीनतम आंकड़े बताते हैं, अमेरिका की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था काफी हद तक धनी लोगों के खर्च पर टिकी है। शीर्ष 10 प्रतिशत कमाने वालों का उपभोक्ता खर्च में आधा हिस्सा है, जो आंकड़ों का रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से अब तक का सबसे अधिक है। अगर एआई को लेकर इतना उत्साह न हो तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था ठप पड़ सकती है।
दुनिया के किसी और देश ने इमिग्रेशन का वैसा बूम-एंड-बस्ट (उछाल-मंदी) चक्र नहीं देखा है, जैसा कि इधर अमेरिका में चल रहा है। 2020 के बाद शुद्ध इमिग्रेशन लगभग चार गुना बढ़कर 2023 में 30 लाख से भी ज्यादा के शिखर पर पहुंच गया था, लेकिन ट्रम्प के नेतृत्व में हुए विरोध-प्रदर्शनों ने इस आंकड़े को तेजी से नीचे गिराया।
इस साल केवल लगभग 4,00,000 नए प्रवासियों के आने की उम्मीद है, और आने वाले वर्षों में भी यही रुझान रह सकता है। गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषण से पता चलता है कि श्रमबल में यह गिरावट अमेरिका की विकास क्षमता को पांचवें हिस्से से भी ज्यादा कम कर देगी। फिर भी, इस जोखिम के प्रति प्रतिक्रिया भी धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। कारण, एआई वैसे भी मानव श्रम की जरूरत घटा देगा।
इसी तरह, अमेरिका में सरकारी घाटा और कर्ज अन्य विकसित बाजारों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। जीडीपी के लगभग 100 प्रतिशत पर अमेरिकी सरकारी कर्ज दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपने चरम के करीब है और अपनी वर्तमान गति से यह बोझ बढ़ता ही जा सकता है। जब तक कि एआई आर्थिक उछाल लाकर स्थिति को न सुधार ले। उस परिदृश्य में अमेरिकी कर्ज का बोझ स्थिर हो सकता है।
वैश्विक बाजार इस सुखद परिदृश्य की ही उम्मीद कर रहे हैं। बॉन्ड निवेशकों ने हाल ही में जापान, फ्रांस और ब्रिटेन सहित उन देशों को कड़ी टक्कर दी है, जिनका घाटा अमेरिका से काफी कम है। इन सभी देशों में सरकारी बॉन्ड की बिकवाली देखी गई है। इनमें से अकेले अमेरिका में ही इस साल 10 साल के सरकारी बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखी गई है।
एआई को इतने सारे विभिन्न खतरों के उपाय के लिए एक जादू की छड़ी के रूप में देखे जाने का मुख्य कारण यह है कि इससे उत्पादकता में वृद्धि को उल्लेखनीय बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। प्रति कर्मचारी अधिक उत्पादन जीडीपी को बढ़ावा देकर कर्ज के बोझ को कम करेगा।
इससे श्रम की मांग घटेगी। और यह कंपनियों को कीमतें बढ़ाए बिना वेतन बढ़ाने में सक्षम बनाकर टैरिफ के खतरे सहित मुद्रास्फीति के जोखिमों को कम करेगा। हाल के वर्षों में अमेरिका में उत्पादकता शेष विकसित दुनिया की तुलना में तेजी से बढ़ी है।
उत्पादकता के चमत्कार की संभावना ने घरेलू और विदेशी निवेशकों के इस विश्वास को और मजबूत कर दिया है कि यह अंतर और बढ़ेगा। वे आश्वस्त हैं कि अमेरिका एआई इनोवेशन, बुनियादी ढांचे और एडॉप्टेशन में ऐसी अग्रणी स्थिति बना रहा है, जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता।
इस नैरेटिव में एक असंगत कहानी डॉलर की है। लेकिन कई विश्लेषक इसकी हालिया गिरावट को विदेशी निवेशकों द्वारा अत्यधिक महंगी मुद्रा में निवेश के बाद अपने निवेश को अधिक सामान्य स्तरों पर सुरक्षित रखने का परिणाम बताते हैं। विदेशियों ने दूसरी तिमाही में अमेरिकी शेयरों में रिकॉर्ड 290 अरब डॉलर का निवेश किया और अब उनके पास बाजार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के इतिहास में सबसे अधिक हिस्सेदारी।
यूरोपीय और कनाडाई अमेरिकी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन अमेरिकी शेयरों में भारी मात्रा में खरीदारी जारी रखे हुए हैं- खासकर तकनीकी दिग्गज। एक तरह से, अमेरिका को एआई का बड़ा दांव मान लिया गया है। इसका यह भी मतलब है कि एआई को अब अमेरिका के लिए बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा, अन्यथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था और बाजार उस एक आधार को खो देंगे, जिस पर वे अभी खड़े हैं।
वर्कफोर्स घट रही है, फिर भी एआई की वजह से चिंता नहीं श्रमबल में गिरावट अमेरिका की विकास क्षमता को पांचवें हिस्से से भी ज्यादा कम कर देगी। फिर भी, इस जोखिम के प्रति प्रतिक्रिया भी धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। कारण, एआई वैसे भी मानव श्रम की जरूरत घटा देगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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