पहलगाम हमला: कलमा पढ़ने से प्रोफेसर की जान बची, आतंकी ने बगल में बैठे शख्स को मारी गोली लेकिन उसे छोड़ दिया


पहलगाम आतंकी हमले में 26 की मौत
पहलगाम: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने के लिए कहा और जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी। इस घटनाक्रम के बीच असम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य की जान बाल-बाल बच गई। क्योंकि जब आतंकी गोली मार रहे थे तो उन्होंने कलमा पढ़ना शुरू कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गए थे। वह सिलचर के असम विश्वविद्यालय में बांग्ला पढ़ाते हैं। उन्होंने खुद बताया कि जब पहलगाम में आतंकी लोगों को गोली मार रहे थे तो उनके आसपास के लोग जमीन पर बैठ गए और कलमा पढ़ने लगे।
ये देखकर प्रोफेसर ने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। इसी दौरान एक आतंकी उनके पास आया और उनसे पूछा कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन प्रोफेसर ने आतंकी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और कलमा पढ़ते रहे। ये देखकर आतंकी ने उन्हें नहीं मारा बल्कि उनके बगल में बैठे शख्स को गोली मार दी।
प्रोफेसर ने बताया कि इस घटना के बाद जैसे ही उन्होंने देखा कि आतंकी वहां से चले गए हैं तो वह फौरन उस जगह से अपनी पत्नी और बेटी के साथ निकल गए। वह 2 घंटे तक चलते रहे, इसके बाद उन्हें एक लोकल आदमी मिला, जिसकी मदद से वह पहलगाम पहुंचे।
प्रोफेसर इस घटना से सदमे में हैं और उनका कहना है कि वह किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं हैं।
पहलगाम में क्या हुआ?
पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की और 26 लोगों की जान ले ली। आतंकियों ने लोगों को मारने से पहले उनका धर्म और नाम पूछा। आतंकियों ने पुरुषों के प्राइवेट पार्ट भी चेक किए और उनकी पैंट भी उतरवाई। इस घटना से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। (इनपुट: भाषा)