कौन होते हैं DGMO? जिनकी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष विराम!


भारत और पाकिस्तानी झंडे
भारत और पाकिस्तान संबंध तनाव की चरम सीमा से गुजर रहे थे। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 22 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और नागरिकों पर हमला नहीं किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने लगातार तनाव बढ़ाया। मिसाइल और ड्रोन से हमले किए। भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन्हें नष्ट कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया और उसे धूल चटाई दी। फिर 10 मई को दोनों देश के DGMO के बीच बात हुई और सीजफायर का फैसला लिया गया। आइए जानते हैं, DGMO कौन होते हैं?
कौन होता है DGMO
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (Director General Military Operations) एक वरिष्ठ और अहम जिम्मेदारी वाला पद होता है। यह एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अफसर होता है। वह सेना मुख्यालय में काम करता है और सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है। इस समय भारत के DGMO राजीव घई हैं।
DGMO का क्या होता है काम?
DGMO सैन्य अभियानों की देखरेख करता है और कॉर्डिनेशन बनाता है। किसी भी सैन्य अभियान के लिए रणनीति बनाना, निर्देश देना जैसे काम करने की जिम्मेदारी DGMO की ही होती है। DGMO के पास युद्ध, आतंकवाद विरोधी अभियान और सैन्य अभियानों से जुड़ी जानकारियां सबसे पहले पहुंचाई जाती हैं, ताकी वह उसी अनुरूप अपनी रणनीति बना सकें।
DGMO युद्ध, शांति अभियानों, विद्रोह-विरोधी सैन्य अभियानों के लिए प्लान बनाता है और ये सभी प्लान ठीक तरह से लागू हों इसके लिए बलों की प्रभावी तैनाती भी करता है। इसके अलावा वह सशस्त्र बलों और दूसरी एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी को लेकर समन्वय बनाता है और इनके बीच एक तरह से पुल का काम करता है। इसके अलावा वह एजेंसियों तक जरूरी सूचनाएं भी पहुंचाते हैं।
संघर्ष विराम के लिए दोनों DGMO के बीच हुई बातचीत
युद्ध शुरू होने से लेकर और संघर्ष विराम के दौरान सारे फैसले DGMO ही लेते हैं। सीमा पर तनाव के दौरान अन्य देशों (जैसे पाकिस्तान या चीन) के समकक्ष अधिकारियों से संवाद करना होता है, ताकि तनाव कम हो सके। अभी भी भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी संघर्ष विराम हुआ है, तो दोनों देश के DGMO के बीच बातचीत हुई। दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत में सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला लिया है। अब 12 मई को दोनों देश एक बार फिर से इस मुद्दे पर बात करेंगे।