Column by Pt. Vijayshankar Mehta- Stay away from two things during pregnancy- fear and sadness | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: गर्भावस्था में दो चीजों से दूर रहिए- भय और उदासी

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3 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
गर्भावस्था एक नैसर्गिक स्थिति है। इसे बहुत अधिक ताम-झाम से ना जोड़ा जाए। आजकल अस्पतालों में प्रसव के लिए भी बड़े प्रबंधन किए जाते हैं। इसमें सावधानी की अधिक जरूरत है, और वह भी भावनात्मक। पिछले दिनों हवाई यात्रा में मेरे पास की सीट पर एक गर्भवती बहन बैठी थीं।
उन्हें भय लग रहा था। तब मैंने उनसे कहा था कि बहन जी, गर्भावस्था में दो चीजों से दूर रहिए- भय और उदासी। परिवार को सबसे बड़ी ताकत मानिए। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। परिवारों में इस बात का बहुत हल्ला है कि बेटे-बेटी में भेद होता है। लालन-पालन में भेद ना करें। लेकिन कुछ बातें दोनों में नैसर्गिक अलग हैं।
वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि मां की उदासी-परेशानी का असर गर्भस्थ शिशु पर बेटा या बेटी होने पर अलग-अलग पड़ता है। कन्या है तो उदासी को अलग रूप में लेगी और उसके जीवन में प्रभाव पड़ेगा। पुत्र है तो असर अलग होगा। इसलिए गर्भस्थ शिशु के प्रति सबकी जिम्मेदारी है कि हम उसे संसार बहुत अच्छे ढंग से दिखाएं।
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