Column by Pandit Vijayshankar Mehta- If birth and death are not in our hands then increase your faith in God | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जन्म-मृत्यु हमारे हाथ में नहीं तो भगवान पर भरोसा बढ़ाएं

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46 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
रामकथा सुनने पर क्या लाभ होते हैं, यह बात रामचरितमानस में अलग-अलग ढंग से आई है। पार्वती जी से कहते हुए ये पंक्तियां आई हैं- मैं जिमि कथा सुनी भव मोचनि। सो प्रसंग सुनु सुमुखि सुलोचनि। मैंने जिस प्रकार वह भव (जन्म-मृत्यु) से छुड़ाने वाली कथा सुनी, हे सुमुखी, सुलोचनी, वह प्रसंग सुनो। यहां गहरी बात है जन्म-मृत्यु से छुड़ाने वाली।
दरअसल, मनुष्य का जन्म और मृत्यु दो ऐसी उलझनें हैं या रहस्य हैं कि अच्छे-अच्छे इसकी थाह नहीं पाते। हम पैदा क्यों हुए, मृत्यु के बाद हमारा क्या होगा, ये बात अनेक ग्रंथों में लिखी है। पर बड़े-बड़े विद्वान, दार्शनिक और महात्मा इसमें उलझ गए। जीवन ऐसा है कि बाहर की दुनिया से एक ट्रिगर दबता है और हमारे भीतर उथल-पुथल शुरू हो जाती है।
जन्म-मृत्यु के मसले पर रामकथा पढ़ें तो समझ आता है ये दोनों हमारे हाथ में नहीं हैं तो भगवान पर भरोसा बढ़ाएं। रामकथा ऐसे प्रसंगों से हमारी मेमोरी-एडिटिंग कर देती है और हम परिपक्व होकर जीने लगते हैं।
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