Column by Pt. Vijayshankar Mehta – Do service to increase the feeling of happiness in success | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: सफलता में खुशी का भाव बढ़ाने के लिए सेवा करिए

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1 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
जब हमें सफलता प्राप्त होती है तो जो मिलता है, वो तो अपनी जगह है, पर बहुत कुछ दांव पर भी लग जाता है। सफलता के दांव पर असफलता ही नहीं लगती, कभी-कभी रिश्ते भी दांव पर लग जाते हैं। सफलता के प्राण खुशी हैं।
हमें सफलता मिले और खुशी न मिले तो समझें गड़बड़ है। सफलता निष्प्राण भी हो जाती है। सारी दुनिया तारीफ करे, पर आपको मालूम है कि आपको खुशी नहीं मिली। कुछ है, जो आपने खो दिया। सबसे बड़ी कीमत रिश्तों की होती है।
कई बार आप देखते हैं कि दुनिया तो जय-जयकार कर रही है, पर रिश्ते दांव पर लग गए। और रिश्ते भोजन की तरह होते हैं। ये कोई जंक फूड जैसे नहीं हैं। ये उस भोजन की तरह हैं, जिसमें न्यूट्रिशन जमकर भरे हैं। ये वैसा भोजन भी नहीं कि जिसमें केवल स्वाद मिले।
रिश्ते उस तरह का भोजन हैं, जिसमें स्वास्थ्य भी मिलता है। इसलिए जब आप सफलता की यात्रा पर हों तो लगातार प्रयास करें कि रिश्तों को मान दें। और सफलता में खुशी का भाव बढ़ाने के लिए सेवा का काम करिए। तो रिश्ते और सेवाभाव, ये दोनों सफलता को निष्प्राण होने से बचाएंगे।
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