ट्रंप ने 10 से 41% तक रेसिप्रोकल टैरिफ के आदेश पर किए साइन, भारत समेत 70 से ज्यादा देशों पर पड़ेगा असर – Trump signed executive order modifying reciprocal tariff rates ranging from 10 to 41 percent White House says ntc

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दर्जनों देशों पर 10% से लेकर 41% तक के नए रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) लगाने का आदेश जारी किया. ट्रंप ने इस आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि यह कदम वर्षों से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को दूर करने और अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लिया गया है.
व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक फैक्टशीट के मुताबिक ये आदेश केवल शुल्क दरों में बदलाव ही नहीं करेगा, बल्कि इन टैरिफ्स के लागू होने की तारीख भी तय करता है. ट्रंप ने शुरुआत में टैरिफ के लिए 1 अगस्त की तारीख तय की थी, ताकि तब तक सभी देशों से व्यापार समझौते पूरे हो जाएं, लेकिन अब जिन 70 से अधिक देशों पर टैरिफ लागू होगा, उनके लिए ये टैरिफ आदेश जारी होने के 7 दिन बाद से प्रभाव में आ जाएंगे.
इस आदेश के तहत भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया है. अमेरिका का तर्क है कि भारत जैसे देश अमेरिकी सामानों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जबकि खुद के लिए व्यापार में छूट की मांग करते हैं. इसी तरह पाकिस्तान पर 19%, बांग्लादेश और वियतनाम पर 20%, दक्षिण अफ्रीका पर 30%, और स्विट्जरलैंड पर सबसे अधिक 39% का शुल्क लगाया गया है. इसके अलावा कैमरून, चाड, इज़रायल, तुर्की, वेनेजुएला और लेसोथो जैसे देशों पर 15% का शुल्क लागू किया गया है.
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कनाडा पर भी अब 35% का टैरिफ लगाया गया है, जो पहले 25% था. अमेरिका का आरोप है कि कनाडा अवैध नशीली दवाओं के संकट को रोकने में असफल रहा है और अमेरिका की नीतियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर रहा है.
ट्रंप ने बताया- कैसे लिया टैरिफ लगाने का फैसला
व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार यह नया टैरिफ आदेश ट्रंप द्वारा पहले जारी किए गए Executive Order पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका का लगातार व्यापार घाटा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. ट्रंप ने यह भी कहा कि यह फैसला नई खुफिया रिपोर्टों और वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है. उन्होंने कहा कि कई देशों ने व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए या तो बातचीत ही नहीं की या फिर बहुत कम प्रयास किए. कुछ देशों ने ऐसे प्रस्ताव दिए जो पर्याप्त नहीं थे.
अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ेगा बोझ
ट्रंप का दावा है कि ये टैरिफ अमेरिका में विनिर्माण उद्योग को वापस लाने और अमेरिकी निर्यात पर लगे व्यापार अवरोधों को कम करने के लिए लगाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि इन शुल्कों का बोझ विदेशी निर्यातकों पर पड़ेगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका अधिकांश भार अमेरिकी कंपनियों को ही उठाना पड़ रहा है. इसके चलते अमेरिका में महंगाई दर भी बढ़ रही है. खासकर फर्नीचर, घरेलू उपकरण और खिलौनों जैसी वस्तुओं के दामों में वृद्धि देखी जा रही है.
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इन देशों ने नहीं किया अमेरिका से समझौता
समाचार एजेंसी AP के मुताबिक, जिन देशों ने अब तक अमेरिका के साथ कोई समझौता नहीं किया है. उनमें भारत, ब्राज़ील, कनाडा और ताइवान जैसे बड़े देश शामिल हैं. साथ ही श्रीलंका, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और लेसोथो जैसे छोटे देशों को भी अब ऊंचे शुल्कों का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप की यह टैरिफ नीति पहली बार 2 अप्रैल को घोषित की गई थी, जब उन्होंने लगभग 60 देशों पर 50% तक आयात शुल्क लगाने की बात कही थी. यह डेडलाइन पहले 9 अप्रैल और फिर 9 जुलाई को टाली गई, लेकिन अब यह 1 अगस्त से लागू हो रही है.
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ट्रंप के आगे झुके ये देश
ट्रंप प्रशासन ने अंतिम समय में कुछ व्यापार समझौते भी किए हैं. गुरुवार को अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत अमेरिका पाकिस्तान के तेल भंडार के विकास में मदद करेगा और उस पर लगे शुल्क में राहत देगा. वहीं, दक्षिण कोरिया के साथ एक डील के तहत उसके सामानों पर अब 15% शुल्क लगेगा, जो पहले घोषित 25% की तुलना में कम है. फिलीपींस के साथ हुए समझौते में शुल्क केवल 1% घटाया गया- 20% से 19% किया गया.
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