Wednesday 08/ 10/ 2025 

Priyadarshan’s column – It’s up to us to choose from cricket’s past | प्रियदर्शन का कॉलम: यह हम पर है कि क्रिकेट के अतीत से हमें क्या चुनना हैGPay, Paytm और PhonePe को टक्कर देगा Zoho, पेमेंट हार्डवेयर के साथ साउंडबॉक्स लॉन्च – zoho payment launches pos service for merchents ttecmजुबली हिल्स उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, नवीन यादव के खिलाफ फर्जी वोटर ID बांटने के आरोप में FIRPt. Vijayshankar Mehta’s column – Know the difference between our youth personality and character | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: हमारे युवा व्यक्तित्व और चरित्र के अंतर को जानेंसंघ के 100 साल: जब हेडगेवार ने दे दिया था सरसंघचालक पद से इस्तीफा, फिर हुआ था ‘भरत मिलाप’! – rss 100 years stories Keshav Baliram Hedgewar resigned sar sanghchalak reunion ntcpplहिमाचल बस हादसा: बचाई जा सकती थी कई लोगों की जान, बचाव दल देरी से पहुंचा, जानें हादसे की वजहShashi Tharoor’s column: The challenge is to strike a balance between the US and China | शशि थरूर का कॉलम: चुनौती तो अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाने की हैYuzvendra Chahal दूसरी शादी के लिए तड़प रहे हैंकहीं सुहानी सुबह-कहीं गुलाबी ठंड का एहसास, बारिश के बाद बदला मौसम का मिजाज; जानें क्या है आपके यहां का हालShekhar Gupta’s column: Anti-India is Pakistan’s ideology | शेखर गुप्ता का कॉलम: भारत-विरोध ही पाकिस्तान की विचारधारा
देश

बिहार में क्यों जरूरी हो गया SIR, सालाना रिवीजन से कैसे अलग? मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया – Why special intensive revision SIR conducted in Bihar, CEC Gyanesh Kumar gave the answer ntcpan

चुनाव आयोग की तरफ से रविवार को बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और विपक्ष की ओर से लगातार उठाए जा रहे ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर एक विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है. इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक-एक कर सवालों के जवाब दिए, साथ ही वोट चोरी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में दो बार नाम आना और किसी मतदाता का दो बार वोट डालने दोनों अलग-अलग बाते हैं. 

आम रिवीजन से कैसे अलग SIR?

इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्ञानेश कुमार ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर उठे सवालों पर भी जवाब दिए. उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव से पहले ही वोटर लिस्ट में सुधार जरूरी था और इसी वजह से अभी यह रिवीजन किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने सर्वे से जुड़े आंकड़े साझा किए और इसकी अहमियत के बारे में विस्तार से बताया.

ये भी पढ़ें: ‘क्या हमें किसी की बहू-बेटी के CCTV शेयर करनी चाहिए…’, राहुल के फुटेज मांगने पर EC का जवाब

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बीते 20 सालों में हर साल वोटर लिस्ट का रिवीजन होता रहा है. लेकिन बिहार में चल रहा स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन इससे अलग है. दोनों के बीच के अंतर को बताते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि सालाना रिवीजन में रेंडम तरीके से वोटर लिस्ट की जांच की है. पिछले 20 साल से देश में SIR नहीं हुआ, हालांकि उससे पहले देश में 10 से ज्यादा स्पेशल रिवीजन हो चुके हैं.

बिहार में क्यों हो रहा स्पेशल रिवीजन?

उन्होंने कहा कि SIR की खासियत यह है कि इसमें वोटर रोल की सघन जांच की जाती है और इसके लिए एक गणना फॉर्म भरवाया जाता है और जब हर मतदाता उस फॉर्म को भरकर देता है तो उसी हिसाब से एक फ्रेश वोटर लिस्ट तैयार की जाती है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार में यह प्रोसेस इसलिए भी जरूरी हो गया कि वहां राजनीतिक दलों की ओर से लगातार वोटर लिस्ट से नाम हटने और जुड़ने दोनों तरह की शिकायतें आ रही थीं.

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इतने सालों में कई लोग जो गांव में रहते थे, वहां उनका वोट था, वो अब शहर में आ गए. लेकिन उनका नाम गांव की ही वोटर लिस्ट में रह गया, क्योंकि वोटर लिस्ट से नाम हटवाना भी जटिल प्रक्रिया है. ऐसे में उनका वोट गांव और शहर दोनों जगह हो गया. इसके साथ ही जब वे एक शहर से दूसरे शहर में बसे तो वहां भी वोट बन गया, लेकिन कटा किसी जगह से भी नहीं. इस तरह से एक व्यक्ति के जाने या अनजाने में कई जगह वोट बन गए.

कितने फॉर्म भरे, कितने हुए वापस?

उन्होंने कहा कि ऐसे स्थिति में वोटर रोल को दुरुस्त करने का एकमात्र तरीका यही गणना फॉर्म बचता है. ज्ञानेश कुमार ने आगे बताया कि इस फॉर्म के जरिए वोटर कार्ड की खामियों को दूर किया जा सकता है. फोटो, नाम या पता ठीक कराने का विकल्प मतदाताओं को दिया जाता है. 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि SIR में डोर-टू-डोर जाना पड़ता है. बिहार में हमारे करीब 90 हजार से ज्यादा बूथ लेवल अधिकारियों ने 7.89 करोड़ वोटर्स के घर जाकर एक-एक व्यक्ति को यह गणना फॉर्म दिया. इस दौरान जो लोग मृत पाए गए या फिर जो लोग किसी और किसी जगह शिफ्ट हो गए, वहां उन्होंने फॉर्म भर दिया था, ऐसे लोगों से फॉर्म वापस नहीं मिला. इस तरह तीस दिन के भीतर 7.24 करोड़ फॉर्म वापस हासिल हुए हैं.

ये भी पढ़ें: ‘7 दिन में हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी…’, राहुल गांधी पर CEC ने साधा निशाना

बिहार में नेपाली और बांग्लादेश वोटर्स के सवाल पर उन्होंने बताया कि संविधान के मुताबिक सिर्फ भारत के नागरिक ही विधायक, सांसद का चुनाव कर सकते हैं, किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है. अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया में उनकी पात्रता साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं, जिनकी 30 सितंबर तक गहन जांच होगी और ऐसे केस में गहन जांच के दौरान ऐसे लोग पाए जाएंगे जो हमारे देश के नागरिक नहीं हैं और निश्चित तौर से उनका वोट नहीं बनेगा.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार कहा कि बिहार में करीब 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) ने एक ड्राफ्ट लिस्ट तैयार की है, यह ड्राफ्ट लिस्ट हर बूथ पर तैयार की जा रही थी, सभी राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों ने अपने साइन के साथ इसे सत्यापित किया है साथ ही मतदाताओं ने कुल 28,370 दावे और आपत्तियां भी पेश की हैं.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं. जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनीतिक दल और सभी बूथ लेवल अधिकारी मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं, सत्यापन कर रहे हैं, साइन कर रहे हैं और वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं.

—- समाप्त —-


Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL