Wednesday 20/ 08/ 2025 

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विपक्ष के ‘सुदर्शन चक्र’ में कौन-कौन से दल उलझेंगे, कौन एनडीए का देगा साथ? क्या है उपराष्ट्रपति चुनाव की बिसात – Sudarshan Reddy vs cp Radhakrishnan vice president election India block NDA fight political support TDP BRS YSR ntcpkb

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को संयुक्त उम्मीदवार बनाया है. इसके चलते उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का मुकाबला अब काफी रोचक हो गया है, क्योंकि इंडिया ब्लॉक ने सुदर्शन के नाम का ऐलान करते हुए साफ कर दिया है कि यह वैचारिक लड़ाई है.

सीपी राधाकृष्णन के ज़रिए बीजेपी के ‘तमिल’ दांव में फंसे इंडिया ब्लॉक ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए गैर-राजनीतिक चेहरे पर भरोसा जताकर जबरदस्त ‘सुदर्शन चक्र’ चलाया है. बी. सुदर्शन को उम्मीदवार बनाकर विपक्ष को एकजुट रखने के साथ-साथ सत्तापक्ष के सहयोगी और समर्थक दलों को भी उलझा दिया है.

एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले से हैं, जो एक समय आंध्र प्रदेश में हुआ करता था. उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का सियासी पलड़ा भले ही भारी हो, लेकिन कांग्रेस ने बी. सुदर्शन को उतारकर विपक्षी एकता का संदेश देने के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दलों को असमंजस में डाल दिया है.

विपक्ष ने गैर-राजनीतिक चेहरे को उतारा

इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन गैर-राजनीतिक चेहरे हैं, उनका किसी भी सियासी दल से जुड़ाव नहीं रहा है. यही वजह है कि विपक्ष पूरी तरह एक साथ खड़ा नजर आ रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, सपा के सांसद धर्मेंद्र यादव, डीएमके सांसद कनिमोझी और टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय सहित इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने उपराष्ट्रपति के लिए बी. सुदर्शन को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया. 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग से दूर रहने वाली ममता बनर्जी की पार्टी पूरी मुस्तैदी के साथ खड़ी है.

रेड्डी पर आम सहमति बनने के बाद, आम आदमी पार्टी से लेकर ममता तक साथ हैं. टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करके सुदर्शन रेड्डी के नाम पर समर्थन ले लिया है. बी. सुदर्शन के नाम पर इंडिया ब्लॉक पूरी तरह से एकजुट खड़ा नजर आ रहा है. इसके अलावा इंडिया ब्लॉक से अलग हो चुकी आम आदमी पार्टी ने बी. सुदर्शन को समर्थन दिया है.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह लड़ाई केवल उपराष्ट्रपति चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और संविधान के बीच की लड़ाई है. उनका कहना था कि बीजेपी के उम्मीदवार आरएसएस से जुड़े हुए हैं, जबकि विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी कभी किसी राजनीतिक दल या किसी विशेष विचारधारा से नहीं जुड़े. वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और हमेशा निष्पक्षता और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं.

विपक्ष के ‘सुदर्शन चक्र’ में उलझे दल

बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर डीएमके को जिस तरह से कशमकश में फंसा दिया था, उसी तरह अब इंडिया ब्लॉक की तरफ से बी. सुदर्शन के उम्मीदवार बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू, जगन मोहन रेड्डी और केसीआर जैसे नेताओं के लिए धर्मसंकट पैदा हो गया है. बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले में हुआ है, जो फिलहाल अब तेलंगाना का हिस्सा है. इस तरह से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के सियासी क्षत्रपों को भी साधने का दांव माना जा रहा है.

आंध्र प्रदेश में टीडीपी सत्ता में है तो वाईएसआर कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. तेलंगाना में बीआरएस विपक्ष में है. बीआरएस और वाईएसआर न ही एनडीए के साथ हैं और न ही इंडिया ब्लॉक के साथ हैं. इस तरह से उपराष्ट्रपति के चुनाव में टीडीपी से लेकर वाईएसआर और केसीआर की भूमिका काफी अहम है. इसके अलावा बीजेडी भी किसी भी गठबंधन के साथ नहीं है.

एनडीए के बड़े सहयोगी टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के सीएम हैं. टीडीपी ने सुदर्शन रेड्डी के नाम से पहले एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के साथ होने का दावा किया था, लेकिन अब उसके सामने कशमकश की स्थिति खड़ी हो गई है. यही धर्मसंकट वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी के साथ भी खड़ी हो गई है. विपक्ष ने तेलुगू प्रत्याशी उतारकर जगन रेड्डी को सियासी तौर पर उलझा दिया है.

तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले बी. सुदर्शन को प्रत्याशी बनाकर राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीआरएस के सामने भी टेंशन बढ़ा दी है. केसीआर की बीआरएस के पास राज्यसभा में तीन सदस्य हैं और एक लोकसभा सांसद हैं. बीआरएस सांसद केआर सुरेश ने कहा कि वे राष्ट्रहित के मुद्दों पर सरकार का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में अब किसे समर्थन देना है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.

बीजेडी ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन 2024 में ओडिशा की सियासत में आए परिवर्तन के बाद नवीन पटनायक ने बीजेपी से दूरी बनाई है. विपक्ष ने जिस तरह गैर-राजनीतिक चेहरे को उतारा है, उससे बीजेडी कशमकश में फंस गई है. विपक्ष ने गैर-राजनीतिक व्यक्ति को आगे करके विपक्ष को एकजुट रखने के साथ एनडीए की किलेबंदी में सेंधमारी का प्लान बनाया है.

इंडिया ब्लॉक ने चला बड़ा सियासी दांव

बी. सुदर्शन 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए थे. पिछले दिनों तेलंगाना में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए एक जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए गठित समिति का नेतृत्व किया है. वहीं, सीपी राधाकृष्णन आरएसएस की पाठशाला से निकले हैं और जनसंघ से होते हुए बीजेपी से जुड़े रहे हैं. यही वजह है कि इंडिया ब्लॉक ने विचारधारा की लड़ाई बताते हुए बी. सुदर्शन के नाम का ऐलान किया.

विपक्ष सुदर्शन रेड्डी को राधाकृष्णन के खिलाफ सामाजिक न्याय के पुरोधा के रूप में पेश करने की कवायद कर सकता है. तेलंगाना जाति सर्वेक्षण से उनके जुड़ाव से इसमें मदद मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा सुदर्शन रेड्डी कांग्रेस की कर्नाटक सरकार को भी अनौपचारिक रूप से जाति सर्वेक्षण तैयार करने में मदद कर रहे हैं, जो नए सिरे से किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के रूप में रेड्डी की मजबूत साख और सामाजिक न्याय की पृष्ठभूमि के ज़रिए विपक्ष एक नैरेटिव गढ़ना चाहता है. इस तरह से इंडिया ब्लॉक की नज़र उन दलों पर है, जिनका आधार दलित और ओबीसी वोटों पर है.

उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे हुआ रोचक

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोटिंग करते हैं. इस तरह से लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद हैं, जिसमें से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास फिलहाल 418 सांसदों का समर्थन हासिल है. उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए को जीत के लिए ज़रूरी 392 सदस्यों से 26 वोट ज्यादा हैं. इसके अलावा बीजेपी को राज्यसभा में सात मनोनीत और तीन निर्दलीय में से करीब दो का समर्थन मिल सकता है. वहीं, 2022 के चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रहे जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे और मार्गरेट अल्वा को 182 वोट ही मिले थे.

अब सियासी हालत बदल चुके हैं. आंध्र प्रदेश के वाईएसआरसीपी, जिनके राज्यसभा में सात सदस्य हैं, उनका समर्थन हासिल करना एनडीए के लिए आसान नहीं होगा. ऐसे ही 2024 के बाद बीजेडी के साथ बीजेपी के रिश्ते बिगड़ चुके हैं. बसपा के पास सिर्फ एक वोट ही बचा है जबकि पहले उसके पास 12 सांसदों का समर्थन था. इसके अलावा अकाली दल से लेकर एआईएडीएमके तक से बीजेपी का रिश्ता टूट चुका है. इसके अलावा विपक्ष की ताकत पहले से ज्यादा मजबूत हुई है. इसके अलावा विपक्ष ने जिस तरह से तेलंगाना के मूल निवासी बी. सुदर्शन को उतारा है, उससे भी सियासी तस्वीर बदल सकती है.

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