Thursday 21/ 08/ 2025 

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’13 अरब से 68 अरब डॉलर तक बढ़ा कारोबार, पर एक चिंता की बात भी…’, रूस में बोले जयशंकर – S jaishankar speaks on india russia trade relations at IRIGC TEC in moscow ntc

रूस में आयोजित 26वें आईआरआईजीसी-टीईसी की भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सह-अध्यक्षता की. इस दौरान जयशंकर ने कहा कि वह दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ 26वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के सत्र में जुड़कर बहुत खुश हैं. लगभग 10 महीने बाद यहां मिल रहे हैं, पिछला सत्र नई दिल्ली में 2024 में आयोजित किया गया था. बहुत ही कम समय में इस सत्र का आयोजन किया गया, शायद यह अब तक का सबसे छोटा अंतराल है दो सत्रों के बीच है. 

विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार असंतुलन पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि रूस-भारत के बीच वस्तु व्यापार पांच गुना बढ़कर 2021 में 13 अरब डॉलर से 2024-25 में 68 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. लेकिन इस वृद्धि के साथ व्यापार असंतुलन भी बढ़ा है. असंतुलन 6.6 अरब डॉलर से बढ़कर 58.9 अरब डॉलर हो गया है, जो लगभग नौ गुना है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने व्यापार को संतुलित रखने के लिए सुझाव भी दिए हैं. उन्होंने कहा, शुल्क और गैर-शुल्क संबंधी व्यापार बाधाओं को कम करना प्राथमिकता में है. इससे आयात-निर्यात प्रक्रियाओं में तेजी आएगी और व्यापारियों का समय तथा लागत बचेगी.

इसके अलावा, लॉजिस्टिक्स और परिवहन से जुड़ी समस्याओं को दूर करना भी जरूरी है. बेहतर ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क और बेहतर लॉजिस्टिक्स से वस्तुओं की आवाजाही में सुधार होगा, जिससे व्यापार और निवेश दोनों को फायदा होगा. 

यह भी पढ़ें: ‘भारत-चीन संबंधों के लिए बॉर्डर पर शांति जरूरी…’, चीनी विदेश मंत्री के साथ मीटिंग में बोले जयशंकर

भारत और रूस के बीच अंतर्राष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी नई कनेक्टिविटी परियोजनाओं के माध्यम से माल और सेवाओं के आदान-प्रदान में तेजी आएगी.

पेमेंट सिस्टम को बेहतर और त्वरित बनाना भी एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि लेन-देन में देरी या कॉम्प्लिकेशन से बचा जा सके. 

इसके अलावा, 2030 तक तय सीमा से आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया जाएगा. इसके तहत विभिन्न उद्योगों, ऊर्जा परियोजनाओं और तकनीकी सहयोग को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा.

दोनों देशों के बीच भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) FTA को जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाना भी आवश्यक है, ताकि टैरिफ और व्यापार नीतियों में स्थिरता आए.

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