Wednesday 17/ 09/ 2025 

राहुल गांधी ने PM मोदी को दी जन्मदिन की बधाई, जानें अपने शुभकामना संदेश में क्या बोले कांग्रेस नेताColumn by Pandit Vijayshankar Mehta- If you are looking for peace, then focus on body purification | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अगर शांति की तलाश है तो शरीर-शुद्धि पर ध्यान देंयूपी: अपने आप खत्म हो जाएगा आपकी गाड़ी का चालान, जानिए कैसे चेक कर सकते हैं आप – up challan status check process e challan know how you can check it cm yogi lclgजन्मदिन विशेष: सोशल मीडिया के भी बिग बॉस हैं PM मोदी, फॉलोअर्स की संख्या जानकर रह जाएंगे दंगN. Raghuraman’s column – If you heat raw clay, it can become Kundan | एन. रघुरामन का कॉलम: कच्ची मिट्टी को तपाएंगे तो वो कुंदन बन सकती हैंकूनो पार्क, पटेल स्टैच्यू से विश्वनाथ मंदिर में पूजा तक… 2014 से 2024 तक PM मोदी ने कहां और कैसे मनाया अपना जन्मदिन? – Narendra Modi 75th birthday how PM Modi celebrates his birthdays since 2014 ntcदेहरादून में उफनती नदी में फंसा बच्चा, खौफनाक मंजर देख सबके होश फाख्ता, NDRF ने यूं बचाया; देखें VIDEOदूसरी बार पत्नी मेलानिया संग स्टेट विजिट पर ब्रिटेन पहुंचे ट्रंप, किंग चार्ल्स करेंगे मेजबानी, PM स्टार्मर से भी मुलाकात – Donald Trump Wife Melania Trump Britain State Visit King Charles III PM Keir Starmer NTCVIDEO: उत्तराखंड में पांच दिनों तक भारी बारिश का है अलर्ट, बादल फटने से अबतक 15 लोगों की मौत, 16 लापताPM Modi को Trump ने किया कॉल, दी जन्मदिन की बधाई
देश

N. Raghuraman’s column – If you heat raw clay, it can become Kundan | एन. रघुरामन का कॉलम: कच्ची मिट्टी को तपाएंगे तो वो कुंदन बन सकती हैं

2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

याद करें 1980 और 90 के दशक के उन दिनों को, जब हम सभी साप्ताहिक धारावाहिक देखने किसी और के घर जाया करते थे। अगर एक हफ्ते का एपिसोड छूट जाता तो अक्सर हमें बुरा लगता, लेकिन हम चुपचाप रहते। लेकिन कल्पना करें कि तब क्या होगा, यदि हमारे ही परिवार के सदस्य टेलीविजन पर हों और हम उन्हें ना देख पाएं। या फिर, जब हमारे जानकार लोग स्क्रीन पर हों और बिजली चली जाए।

कुछ ऐसा ही एहसास उस पूरे परिवार को हुआ, जब उनके चार भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन घर से मीलों दूर वास्तव में लड़ रही थी। हां, वह सचमुच लड़ ही रही थी। जब उसने नॉर्थ-वेस्ट इंग्लैंड के लिवरपूल में विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, तो यह ना केवल मीनाक्षी हुड्डा की व्यक्तिगत जीत थी, बल्कि उस पूरे परिवार- जिसके पास टीवी तक नहीं था, और गांव के लिए एक उत्सव था। इस ऐतिहासिक जीत के बाद जब आयरिश सागर की हवा मीनाक्षी के पसीने सुखा रही थी, तब हरियाणा में रोहतक जिले के रुड़की गांव की तंग गली में स्थित साधारण-से घर से उठी मिठाई की सुगंध शायद मीनाक्षी तक पहुंच गई होगी।

48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण जीतने वाली मीनाक्षी हुड्डा के माता-पिता श्रीकृष्ण हुड्डा और सुनीता के विचार हमेशा विरोधाभासी रहे। शुरू में श्रीकृष्ण नहीं चाहते थे कि मीनाक्षी बॉक्सिंग करें, लेकिन मीनाक्षी की मां और आंटी उनके साथ मजबूती से खड़ी थीं। 12 वर्ष की उम्र में मीनाक्षी चुपके से स्थानीय स्टेडियम में बच्चों की मुक्केबाजी देखने जाती थीं। तभी उन्हें बॉक्सिंग से लगाव हो गया।

धीरे-धीरे जिज्ञासा जुनून में बदल गई। उनकी मां बताती हैं कि ‘वह हमें तो नहीं बताती थी, लेकिन चुपके से स्टेडियम में बॉक्सिंग देखने जाती थी।’ यहीं उस सफर की शुरुआत हुई, जो मीनाक्षी को ग्रामीण रिंग में उधार के दस्तानों से लेकर वैश्विक मंच तक ले गया। उनकी मां और आंटी हर दिन उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहीं।

हुड्डा परिवार के पास आज भी टेलीविजन नहीं है। उन्होंने अपनी छोटी-सी बचत मीनाक्षी के सपने पूरे करने में लगा दी। इसीलिए, उनके बड़े भाई ने पड़ोसी के टीवी पर मुकाबला देखा, जबकि मां ने मीनाक्षी का हर पंच मोबाइल पर देखा। शनिवार देर रात जब रेफरी ने विजेता के तौर पर मीनाक्षी का हाथ उठाया तो न केवल उस घर में, बल्कि पूरी गली और पूरे रुड़की में जश्न शुरू हो गया। गांव भर में उठते खुशी के जयकारे कोई भी सुन सकता था।

दूसरा मामला एक ऑटोरिक्शा चालक के बेटे राहुल घुमरे का है, जिन्होंने अपनी योग्यता से नीट परीक्षा पास कर पुणे के अंबाजोगाई स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। दो दशकों से अधिक समय तक उनके पिता तात्याभाऊ ने पुणे में ऑटोरिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण किया।

उन्होंने अपने दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए दिन–रात मेहनत की। लेकिन परिवार लाखों रुपए की कोचिंग फीस वहन नहीं कर पाया। फिर अजिंक्य रिक्शा एसोसिएशन ने सहायता की, जिसके वे सदस्य थे। एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन भुजबल ने स्थानीय मोशन क्लासेस में फीस माफ करवाई।

भुजबल ने कहा कि ‘राहुल की सफलता ने उनके परिवार, समुदाय और ऐसे बहुत लोगों को गर्व का अनुभव कराया है, जो उनकी यात्रा को इस प्रमाण के तौर पर देखते हैं कि इरादे पक्के हों तो आर्थिक और सामाजिक बाधाओं को पार किया जा सकता है। हमें खुशी है कि हमने सही व्यक्ति को चुना।’

इरादों की दृढ़ता, परिवार का बलिदान और समय पर मिली सहायता ने मीनाक्षी और राहुल को आज इस मुकाम पर पहुंचाया। आज कोई मीनाक्षी की फिटनेस व अनुशासन और राहुल के समर्पण को खारिज नहीं कर सकता, जिसके कारण यह संभव हुआ।

फंडा यह है कि चाहे कोई घरवाला हो या बाहर का, किसी को तो अपरिष्कृत प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना ही होगा। क्योंकि ये प्रतिभाएं किसी ना किसी रूप में हमेशा स्वर्ण जीतने में सफल होंगी।

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



TOGEL88