Column by Pandit Vijayshankar Mehta- If you are looking for peace, then focus on body purification | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अगर शांति की तलाश है तो शरीर-शुद्धि पर ध्यान दें

- Hindi News
- Opinion
- Column By Pandit Vijayshankar Mehta If You Are Looking For Peace, Then Focus On Body Purification
4 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

पं. विजयशंकर मेहता
जिन्हें शांति प्राप्त करनी हो, उन्हें शरीर-शुद्धि पर काम करना होगा। नई पीढ़ी तो शरीर के प्राकृतिक परिवर्तन को अब जान ही नहीं पा रही। शरीर का संचालन मशीन और तकनीक पर सौंप दिया गया है। गीता में पांचवें अध्याय में व्यक्त किया है- नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन्।
श्रीकृष्ण ने कहा है- नौ द्वारों वाले भौतिक शरीर में भी वे सुखपूर्वक रहते हैं, जो स्वयं को कर्त्ता मानने के विचार से मुक्त होते हैं। ये एक अलग गहरी बात है। पर अभी हमें ये समझना चाहिए, दो आंख, दो कान, नाक के दो छिद्र, मुंह और मल-मूत्र की दो इंद्रियां, ये हमको दुनिया से जोड़ते हैं। यही नौ द्वार हैं। शरीर भी अजीबो-गरीब है।
कुछ वैज्ञानिक कहते हैं मनुष्य के शरीर में सबसे गंदा अंग मुंह है, क्योंकि सबसे ज्यादा बैक्टीरिया वहीं होते हैं। और ऋषि-मुनि कहते हैं कि साध्य के रूप में शरीर दो कौड़ी का है, लेकिन साधन के रूप में महत्वपूर्ण है। और चूंकि इंद्रियां हमारा ध्यान भटकाती हैं, इसलिए हम अशांत होते हैं। अगर शांति की तलाश है तो शरीर-शुद्धि पर बहुत ध्यान दिया जाए। और योग के माध्यम से इन नौ दरवाजों पर चेक पॉइंट लगाए जाएं।
Source link