Tuesday 20/ 05/ 2025 

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रफ्तार का बादशाह निकला ये कछुआ, सिर्फ इतने दिनों में तय की 1000 KM की दूरी

कछुए ने 51 दिन में पूरी की 1000 किलोमीटर की यात्रा।
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE/PEXELS
कछुए ने 51 दिन में पूरी की 1000 किलोमीटर की यात्रा।

आपने अक्सर कछुए की स्पीड के बारे में सुना होगा कि कछुए धीमी गति से चलते हैं। हालांकि एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। दरअसल, भारत में ही एक कछुए ने महज 51 दिनों 1000 किलोमीटर की दूरी तय की है। इसे मापने के लिए ओलिव रिडले कछुए के साथ सेटेलाइट से जुड़े ट्रैकिंग उपकरण को टैग कर दिया गया था। इस कछुए ने ओडिशा के केंद्रपाड़ा में स्थित गहिरमाथा समुद्र तट से आंध्र प्रदेश के तट तक 1000 किलोमीटर की दूरी 51 दिन में पूरी की। एक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान कछुए ने श्रीलंका, तमिलनाडु और पुडुचेरी के समुद्री क्षेत्र से यात्रा की। 

कछुए को किया गया ट्रैक

प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रेम शंकर झा ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के नवीनतम ट्रैकिंग सेटेलाइट ने आंध्र प्रदेश के समुद्री जल में घूम रहे टैग किए गए कछुओं में से एक के बारे में पता लगाया। इसमें बताया गया कि यह कछुआ 51 दिन में करीब 1000 किलोमीटर तक का सफर पूरा कर चुका है। 

 

क्यों कछुओं को किया जाता है टैग

अधिकारियों की मानें तो हर साल लगभग 3000 कछुओं को ट्रैकिंग सिस्टम से टैग किया जाता है। इसमें कम से कम एक लाख कछुओं को टैग किया जाना है, जिससे उनके बारे में जानकारी जुटाई जा सके। इसमें उनका प्रजनन, आवागमन, विकास दर, प्रवास मार्ग और भोजन के क्षेत्रों की जानकारी इकट्ठा करना अहम है। इसी क्रम में ओडिशा वन विभाग ने 1999 में टैगिंग की कवायद शुरू की थी। हालांकि बाद में इसे रोक दिया गया था और फिर भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने 2021 में इसे फिर से शुरू किया।

महाराष्ट्र तक अंडे देने पहुंचा कछुआ

अधिकारियों के मुताबिक 2021 से 2024 के बीच गहिरमाथा और रुशिकुल्या नदी के मुहाने पर स्थित मैदानों में लगभग 12,000 कछुओं को टैग किया गया। इसी तरह करीब चार साल पहले ओडिशा से चला एक कछुआ महाराष्ट्र पहुंचा। इसे भी ट्रैकिंग उपकरण से टैग किया गया था, जिसने 3500 किलोमीटर की दूरी तय की। यह कछुआ महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के समुद्र तट पर अंडे देने के लिए आया था। इसी तरह कछुए गंजम जिले में रुशिकुल्या नदी के मुहाने और पुरी में देवी नदी के मुहाने पर भी सामूहिक रूप से घोंसले बनाने के लिए आते हैं। (इनपुट- पीटीआई)

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