N. Raghuraman’s column – How to encourage children to use mobile phones | एन. रघुरामन का कॉलम: बच्चों को मोबाइल फास्टिंग के लिए कैसे प्रोत्साहित करें

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14 मिनट पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
हमारे पड़ोसी देश नेपाल में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के बाद हुए युवाओं के हिंसक प्रदर्शन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। पुलिस के बलप्रयोग में कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। इस सप्ताह चले राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद प्रतिबंधों को अंततः हटा लिया गया।
युवाओं को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए नेपाल सरकार का प्रतिबंध लगाने का तरीका भले सही हो या नहीं, लेकिन कई माता-पिता अपने किशोर बच्चों को फोन से दूर रखने के लिए भारी मशक्कत कर रहे हैं। मैं कुछ माता-पिताओं को जानता हूं, जो अपने बच्चों को फोन खरीदने में देरी करने के लिए पैसे दे रहे हैं।
कुछ माता-पिताओं ने अपने 12 साल के बच्चों के बैंक खाते में 2 लाख रुपए जमा कराने का ऑफर दिया है, जो चक्रवृद्धि ब्याज के साथ बढ़कर एक अच्छी राशि बन जाएगी, ताकि वे 22 वर्ष की उम्र तक चौपहिया वाहन खरीद सकें। यह विचार अमेरिका से लिया गया है।
वहां माता-पिताओं ने 2 हजार डॉलर (लगभग 2 लाख रुपए) जमा करने का तरीका आजमाया है। इसे अमीरों का विचार समझने की भूल न करें। उनका लक्ष्य सोशल मीडिया पर निर्भर हुए बिना बच्चों के जीवन को सामान्य बनाना है। 2 लाख रुपए की बड़ी राशि बच्चों को लुभा सकती है, क्योंकि वयस्क होने पर एक मोटर व्हीकल खरीदना उनके लिए बड़ा सपना होता है।
मैंने देखा है कि ऐसे बच्चे चक्रवृद्धि ब्याज जैसे बैंकिंग टर्म्स में रुचि ले रहे हैं और हर साल जुड़ने वाले ब्याज के बारे में माता-पिता से पूछ रहे हैं। बढ़ता हुआ पैसा हम वयस्कों के लिए भले ही छोटा हो, लेकिन उन बच्चों के लिए यह किसी खुमारी जैसा होता है। दूसरी ओर, जिन माता-पिताओं के बच्चे पहले से ही सोशल मीडिया की दुनिया में कदम रख चुके हैं, वे उन्हें फोन का इस्तेमाल घटाने के लिए कई प्रकार के प्रोत्साहन दे रहे हैं- जिसे मैं मोबाइल फास्टिंग कहता हूं।
दोनों ही मामलों में उनको अपनी खुद की देखभाल करने के लिए कुछ आंतरिक प्रोत्साहन मिल रहे हैं। कुछ माता-पिता यह सोच सकते हैं कि ये आदतें युवाओं को रिश्वत की सीख देने जैसा है। वे तर्क दे सकते हैं कि हम माता-पिता हैं, हम अधिकार के साथ सोशल मीडिया उपयोग या नया मोबाइल खरीदने के लिए साफ इनकार कर सकते हैं। लेकिन इसके परिणाम हमने देखे हैं, जिनकी चर्चा मैं यहां नहीं करना चाहता।
ऐसे माता-पिताओं को मैं याद दिलाना चाहता हूं कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियां भी कम प्रीमियम लेती हैं, अगर आप उनका ऐप डाउनलोड करें- जो आपकी नियमित व्यायाम आदतों को मॉनिटर करता है। दुनिया भर में ऐसी कंपनियां हैं, जो कर्मचारियों को धूम्रपान न करने के लिए पैसा देती हैं।
अब मुझे बताइए, क्या वे व्यायाम करने या धूम्रपान छोड़ने के लिए रिश्वत दे रही हैं? इसके बजाय मैं कहूंगा कि वे हमें अच्छी सेहत के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। साथ ही अपने ऐप्स के जरिए हम पर नजर रख रही हैं।हमें बचपन में हमेशा प्रोत्साहित किया जाता था। यदि हमने बुक शेल्फ या आलमारी साफ की तो उस शाम हमें सर्कस ले जाया जाता था।
आजकल हम भी वही काम करते हैं। जैसे अपने बच्चे को स्लीप ओवर के लिए दोस्तों के घर जाने देना। यदि वे पूरे सप्ताह अपना कमरा साफ रखते हैं तो उनके दोस्तों को अपने घर आने देना। मैं 12 साल की उम्र से एक बच्चे को देख रहा हूं, जो अब 16 साल का है। उसके पिता ने उसे यह कह कर सोशल साइट्स से दूर रहने के लिए लुभाया कि जब वह अपनी बैचलर डिग्री पूरी कर लेगा तो उसे कार दिलाएंगे।
वह तभी से कारों के बारे में खूब पढ़ रहा है। बीते दो महीनों में वह इस बात पर राजी हुआ है कि उसे पहले एक यूज्ड कार खरीदनी चाहिए, फिर धीरे-धीरे अपग्रेड करना चाहिए। धीरे-धीरे उसकी पैसा खर्च करने की चाहत कम होती चली गई, लेकिन लक्ष्य नहीं बदला- यह केवल नई कार की जगह सेकंड हैंड कार हुआ है।
फंडा यह है कि बच्चों को स्क्रीन के विवेकपूर्ण इस्तेमाल और मोबाइल फास्टिंग के प्रति प्रोत्साहित करने के कई तरीके हैं। बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने का अपना तरीका आप खुद चुनें।
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