Wednesday 03/ 09/ 2025 

दहेज प्रताड़ना से तंग आई महिला, छत से लगाई छलांगपीएम मोदी की मां को गाली देने वाले के खिलाफ हो कड़ा एक्शन, जम्मू-कश्मीर के सीनियर नेता कर्ण सिंह की मांगकानपुर में VIP मूवमेंट के दौरान बुजुर्ग की मौत, अधिकारियों की हड़बड़ी बनी कारण – kanpur vip movement elderly death lclarदिल्ली में अमित शाह के घर बिहार BJP की बड़ी बैठक, तय होगा सीट शेयरिंग का फॉर्मूला, जीतन राम मांझी की क्या है डिमांड?Valya Singh’s column – Police is unable to deal with cyber crimes | वलय सिंह का कॉलम: साइबर अपराधों से निपट नहीं पा रही है पुलिसपहले ऑटो खराब होने का ड्रामा, फिर गला घोंटकर लूटपाट… दिल्ली में ‘सीरियल लुटेरा’ ड्राइवर ऐसे चढ़ा पुलिस के हत्थे – criminal auto driver held robbing passenger delhi police opnm2शराब पीकर यात्री ने फ्लाइट में किया हंगामा? Indigo और पैसेंजर के आए अलग-अलग वर्जनN. Raghuraman’s column – Do you know how the world is running convenience stores by ‘instantiating’ | एन. रघुरामन का कॉलम: आप जानते हैं दुनिया कैसे ‘इन्स्टेंटाइजिंग’ से कन्वीनिएंस स्टोर चला रही है‘पहले आप… पहले आप…’, कार में बैठने के लिए पुतिन और किम जोंग ने दिया एक-दूसरे को सम्मान, VIDEO – Putin Kim Jon Un Private Meeting China Beijing Military Parade ntc'राज्यपाल के बेटे ने मुझे जान से मारने की धमकी दी', TMP के विधायक ने लगाया आरोप
देश

Valya Singh’s column – Police is unable to deal with cyber crimes | वलय सिंह का कॉलम: साइबर अपराधों से निपट नहीं पा रही है पुलिस

12 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
वलय सिंह को-फाउंडर, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट - Dainik Bhaskar

वलय सिंह को-फाउंडर, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट

साइबर अपराध से कैसे निपटें? 12 राज्यों का पुलिस आधुनिकीकरण बजट शून्य है। केवल 2% शिकायतों में चार्जशीट दर्ज होती है। इस मानसून सत्र में सांसदों ने बढ़ते साइबर अपराधों की समस्या को गंभीर रूप से उठाया। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार तीन दर्जन से अधिक सवाल पूछे गए। सवाल यह है कि इनसे निपटने के लिए हमारे पास कितनी तैयारी है?

जैसे-जैसे डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है, उससे कहीं तेजी से साइबर अपराधों की दर में वृद्धि हुई है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘नेशनल साइबर रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म’ (एनसीआरपी) के अनुसार 2021 से 2025 के बीच साइबर अपराधों में 900% की बढ़ोतरी हो चुकी है। इनमें अधिकांश मामले फ्रॉड के होते हैं।

वर्ष 2022 में दर्ज 65,893 केसों में से 65% केस 42,770 फ्रॉड के थे। साइबर फ्रॉड की समस्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विकराल रूप धारण कर चुकी है। जनवरी 2025 में आई रिपोर्ट में ‘ग्लोबल एंटी-स्कैम एलायंस’ के अनुसार पिछले एक वर्ष में साइबर ठगों ने वैश्विक स्तर पर 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 87 हजार अरब रुपए) से अधिक की राशि हड़प ली।

कई देशों को उनकी जीडीपी के 3% से अधिक का नुकसान हुआ है। भारत की बात करें तो गृह मंत्रालय के अधीन गठित ‘इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर’ (आई4सी) का अनुमान है कि देश में साइबर फ्रॉड से एक साल में लोगों को 1.2 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है। यह रकम देश की जीडीपी के 1% से थोड़ी ही कम है। इसमें से अधिकांश पैसा देश से बाहर चला जाता है।

एनसीआरपी पर वर्ष 2022 में 10.30 लाख लोगों ने शिकायत की। इनमें से केवल 6% यानी 66 हजार मामलों में ही एफआईआर दर्ज हुई। जिन 94% मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी, उनकी वजहों की जानकारी कोई भी सरकारी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता। दर्ज हुए 66 हजार मामलों में से केवल 30% से कम में चार्जशीट दाखिल हो सकी। ये 20 हजार चार्जशीट एनसीआरपी पोर्टल पर आई 10.30 लाख साइबर फ्रॉड की शिकायतों का 2% से भी कम है।

दूसरे अपराधों के मुकाबले साइबर अपराधों में पुलिस जांच और चार्जशीट की दर आधे से भी कम है। एनसीआरपी की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में आईपीसी के तहत दर्ज अपराधों में से 71% में चार्जशीट दाखिल की गई। इसी वर्ष दर्ज हुए साइबर क्राइम में 30% अपराधों में चार्जशीट फाइल की गई। साइबर अपराधों में जांच पूरी कर चार्जशीट फाइल न होने की वजह पुलिस के पास अत्याधुनिक क्षमता न होना है।

पुलिस आधुनिकीकरण बजट वर्ष 2020-21 (683 करोड़ रुपए) के मुकाबले वर्ष 2021-22 में (562 करोड़ रुपए) 121 करोड़ रुपए कम हो गया। इस दौरान 12 राज्यों के लिए पुलिस आधुनिकीकरण बजट का आवंटन शून्य रहा। तमिलनाडु, हरियाणा और गोवा को बजट मिला, लेकिन उन्होंने इसमें से कुछ भी खर्च नहीं किया। इस बजट के राष्ट्रीय उपयोग का औसत केवल 47% रहा।

पुलिस जांच में साइबर क्राइम के केस- गैर-संज्ञेय अपराध, अंतिम रिपोर्ट में झूठे तथ्य मिलना, तथ्य या कानून की गलती अथवा सिविल केस होना, केस सही होना लेकिन अपर्याप्त सबूत या कोई सुराग न मिलना और जांच के दौरान खत्म होने वाले मामले- इन तमाम श्रेणियों में रफा-दफा किए गए।

वर्ष 2022 में इन श्रेणियों के तहत निपटाए गए कुल मामलों की संख्या 44,945 थी, जिनमें से कोई सुराग या सबूत न मिलने के चलते 40,614 केस बंद किए गए। यानी 90% केसों को सबूत न मिलने के चलते बंद किया गया। ये आंकड़े जांच प्रणाली की क्षमता पर ही प्रश्नचिह्न लगाते हैं। देश के 11 राज्यों में साइबर क्राइम के ज्यादा केस पाए गए हैं; और इनमें भी महाराष्ट्र-यूपी में सबसे ज्यादा हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं। इस लेख के सहलेखक भारत सिंह हैं)

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



TOGEL88