Wednesday 17/ 09/ 2025 

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संयुक्त कमांडर सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तैयार – Armed Forces shape future roadmap at Combined Commanders Conference 2025

भारतीय सशस्त्र बलों का शीर्ष मंच संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन (CCC) 2025 कोलकाता में आयोजित हुआ. इस सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं (सेना, नौसेना, वायुसेना) के सबसे ऊंचे अधिकारी और फैसले लेने वाले जमा हुए. इसका उद्देश्य रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देना, संयुक्तता मजबूत करना, क्षमता विकास पर मार्गदर्शन देना और राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं से तालमेल बिठाना था. इस साल का थीम ‘सुधारों का वर्ष – भविष्य के लिए परिवर्तन’ था, जो उभरती चुनौतियों के लिए सेनाओं को तैयार करने पर केंद्रित था.

सम्मेलन का शुभारंभ और प्रमुख प्रदर्शन

सम्मेलन की शुरुआत संयुक्त संचालन कमांड सेंटर के हाई-इम्पैक्ट प्रदर्शन से हुई. इसके बाद एयर डिफेंस का लाइव डेमो दिखाया गया, जिसमें हवाई निगरानी, मिसाइल रक्षा और ड्रोन रोधी क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया. 

यह भी पढ़ें: राजनाथ बोले- ऑपरेशन सिंदूर, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक… भारत की कठोर शक्ति का प्रमाण

सम्मेलन में भविष्य के युद्ध के बदलते स्वरूप पर ध्यान दिया गया, जिसमें बहु-क्षेत्रीय संचालन और तेज तकनीकी प्रगति के संदर्भ में पैराडाइम शिफ्ट की बात हुई. रक्षा प्रमुख (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पिछले दो वर्षों के प्रमुख सुधारों और परिवर्तनकारी कदमों की समीक्षा की. 

प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीतिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर बल दिया. उन्होंने कहा कि ये तत्व सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को मजबूत करेंगे. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, राष्ट्र निर्माण, एंटी-पाइरेसी, संघर्ष क्षेत्रों से भारतीयों की सुरक्षित वापसी और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत में सेनाओं की भूमिका की सराहना की.

Combined Commanders Conference

रक्षा मंत्री का सत्र और चर्चाएं

रक्षा मंत्री ने एक महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें वर्तमान बल तैयारियों, क्षमता विकास और भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक रोडमैप की गहन समीक्षा हुई. वर्तमान भू-राजनीतिक अस्थिरता के भारत की सुरक्षा पर प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया.

दूसरे दिन सूचना युद्ध के बढ़ते महत्व पर चर्चा हुई. ‘संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत’ की आधिकारिक रिलीज हुई, जो इसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा बनाने का मील का पत्थर है. इसके बाद रणनीतिक पड़ोस पर ओपन फोरम चर्चा हुई, जिसमें भारत की सीमाओं और उसके पार सुरक्षा गतिशीलता का विश्लेषण किया गया. 

खरीद प्रक्रियाओं, वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन और आधुनिक उपकरण हासिल करने में चुनौतियों पर बहस हुई, ताकि दक्षता और पारदर्शिता बढ़े. पूर्व सैनिकों के योगदानकारी स्वास्थ्य योजना (ECHS) की प्रदर्शन और भविष्य की दिशा की समीक्षा भी की गई, जिसमें कर्मियों और वेटरन्स के कल्याण को केंद्र में रखा गया.

तीसरा दिन: उभरते खतरे और भविष्य की चुनौतियां

तीसरे दिन तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में उभरते खतरों और भविष्य की चुनौतियों पर फोकस रहा. CDS ने सुधारों के वर्ष पर विस्तृत अपडेट दिया, जिसमें पीएम और रक्षा मंत्री के निर्देशों के अनुरूप कार्य योजनाओं का वर्णन किया. चर्चा में सेनाओं में संयुक्तता और एकीकरण बढ़ाने, परस्पर संचालनशीलता, निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने और अंतरिक्ष, साइबर, सूचना तथा विशेष संचालन क्षेत्रों में संस्थागत संरचनाओं के सुधार पर जोर दिया गया.

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