Mustafa Suleiman’s column – It’s time to think about ‘humanistic AI’ | मुस्तफा सुलेमान का कॉलम: समय आ गया है कि हम ‘मानवतावादी एआई’ के बारे में सोचें

9 घंटे पहले
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मुस्तफा सुलेमान माइक्रोसॉफ्ट एआई के सीईओ
आज सवाल यह नहीं है कि क्या एआई हमसे आगे निकल जाएगा? क्योंकि कई क्षेत्रों में तो वह आगे निकल ही चुका है। सामान्य ज्ञान में उसे हराकर बताइए? लेकिन कई जगहें ऐसी भी हैं, जहां हम इंसान हमेशा बेजोड़ ही रहेंगे। तो असल सवाल यह है कि क्या हम एआई को ऐसा बना सकते हैं, जो मनुष्यों को और समृद्ध करे, उन्हें कमजोर नहीं बनाए? यही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।
बेशक, हर कोई अब एआई को लेकर हो रहे शोर-शराबे से ऊब चुका है। लेकिन दांव पर बहुत कुछ लगा है। मानवता की प्रगति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का हमेशा से बड़ा योगदान रहा है। बीते 250 वर्षों में इसने जीवन-प्रत्याशा को दोगुना किया, अरबों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। हमें एंटीबायोटिक्स, बिजली तथा तुरंत वैश्विक कम्युनिकेशन दिया।
एआई इस कहानी का अगला अध्याय है। पर इसकी क्षमता का दोहन तभी होगा, जब हम ठीक से विकसित करेंगे। इसमें किसी भी प्रकार की गलती की कीमत बहुत भारी है। अभी तक कोई भी संतोषजनक तरीके से नहीं बता पा रहा है कि इन प्रणालियों को नियंत्रित कैसे रखें। हम अजीब स्थिति में हैं, जहां इतिहास की सबसे ताकतवर तकनीक हमारे सामने है, लेकिन हमें पता नहीं है कि वह कैसे काबू में रहेगी या वो लाभप्रद भी है या नहीं?
एआई मानव-जीवन की गुणवत्ता सुधारती है? क्या ये लोगों के हित में काम कर रही है? अब जब हम एआई के अगले चरण में हैं तो इन सवालों के जवाब उसमें निहित हैं, जिसे मैं ह्यूमनिस्ट सुपरइंटेलिजेंस (एचएसआई) कहता हूं। एडवांस्ड एआई को नियंत्रित, अलाइन्ड और दृढ़ता से मानव-हित में बने रहने के लिए बनाया गया है। इसमें हर कीमत पर पूर्ण स्वायत्तता वाली अनियंत्रित प्रणाली के खतरे से बचा गया है।
हमें डोमेन-स्पेसिफिक सुपरइंटेलिजेंस पर ध्यान देना चाहिए। अंतहीन तरीके से खुद में सुधार करने वाली और किसी भी उद्देश्य के लिए खुद ही संचालित होने वाली मशीन बनाने के बजाय हमारा उद्देश्य अरबों लोगों को व्यावहारिक फायदे पहुंचाने का होना चाहिए। इस प्रणाली को हमेशा मानवता के अधीन ही रहना चाहिए। माइक्रोसॉफ्ट में हमारी सुपरइंटेलिजेंस टीम का विजन भी यही है। हमारा मिशन मानवता को सुरक्षित रखना है।
ये मानवतावाद क्यों? क्योंकि इतिहास ने इंसानी गरिमा को बनाए रखने में मानवतावादी परंपराओं की ताकत को साबित किया है। इसी भावना से बना एआई असाधारण लाभ दे सकता है और विनाशकारी जोखिमों से बचा सकता है। हमें एआई को लेकर एक दृष्टिकोण की जरूरत है, जो मानवता का समर्थक हो, रचनात्मकता बढ़ाए और हमारे पर्यावरण की हिफाजत करे- ऐसा नहीं जो हमें ही हाशिए पर धकेल दे।
एचएसआई एक सुरक्षित रास्ते की पेशकश करता है। इसका मतलब है- डोमेन-स्पेसिफिक अविष्कारों पर डटे रहना, जिनका गहरा सामाजिक प्रभाव हो। कल्पना करें ऐसे एआई कंपेनियंस की, जो रोजमर्रा के तनाव कम करें, उत्पादकता बढ़ाएं व अनुकूलित शिक्षण से शिक्षा जगत को बदल दें। मेडिकल सुपरइंटेलिजेंस, जो सटीक, किफायती और विशेषज्ञ-स्तरीय निदान दे। क्लीन एनर्जी में एआई-संचालित प्रगति की संभावना पर भी विचार करें, जिससे किफायती ऊर्जा उत्पादन हो सके।
मनुष्य किसी भी तकनीक या एआई से अधिक महत्वपूर्ण है। सुपरइंटेलिजेंस अब तक का सर्वोत्कृष्ट आविष्कार हो सकता है, लेकिन तभी, जब वह सिद्धांतों पर कायम रहे। हमारा लक्ष्य किसी भी कीमत पर सुपरइंटेलिजेंस बनाना नहीं, बल्कि ऐसा सावधानीभरा रास्ता अपनाना है- जो नियंत्रित, किफायती और इंसान की भलाई पर केंद्रित हो।
(@प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
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