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Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Add hard work and practice to natural talent | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: नैसर्गिक प्रतिभा में परिश्रम और अभ्यास को भी जोड़ें

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4 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

जीवन में दो बातों का मुकाबला भले न हो, लेकिन ये आमने-सामने तो रहती ही हैं। एक होती है नैसर्गिक प्रतिभा और दूसरा होता है परिश्रम से तराशा व्यक्तित्व। जन्म से कुछ प्रतिभाएं हमें मिलती हैं, जो एक संयोग है। लेकिन नैसर्गिक प्रतिभा अगर बहुत गहराई में जाकर देखें तो समाप्त भी हो सकती है।

इसको बहुत संभालकर- जैसे एक बीज को पौधा और पौधे से पेड़ बनाना पड़ता है- ऐसे रखना पड़ता है। फिर एक होती है परिश्रम और अभ्यास से अर्जित प्रतिभा। परिश्रम और अभ्यास को जोड़ देना चाहिए। परिश्रम एक ऐसा ना दिखने वाला हमारे भीतर का जोश है, जिसे यदि हम अभ्यास से जोड़ दें, तो मानकर चलें नैसर्गिक प्रतिभा भी फीकी पड़ जाएगी।

सभी एक्स्ट्रा के रूप में पैदा होते हैं, लेकिन परिश्रम से तराशी प्रतिभा एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी बना सकती है। इसलिए अपने बच्चों को जब हम यह समझा रहे होते हैं कि खूब धन कमाना तो उन्हें यह भी समझाएं कि यह नैसर्गिक प्रतिभा से अकेले नहीं हो पाएगा। इसमें परिश्रम और अभ्यास भी जोड़ें। और जब धन की दौड़ में निकलें तो देश-परिवार को आगे रखें।

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