Thursday 28/ 08/ 2025 

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यूपी: मंत्री के कार्यक्रम में बिजली गुल होने पर जिस JE को किया गया था सस्पेंड, उसको लेकर हाईकोर्ट ने दिया ये निर्देश – HighCourt direction JE suspension power cut up minister program lclam

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के बिजली विभाग को एक कनिष्ठ अभियंता (जूनियर इंजीनियर) के निलंबन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है. दरअसल, उक्त इंजीनियर को बिजली मंत्री के दौरे के दौरान हुई बिजली कटौती के कारण ड्यूटी से हटा दिया गया था. ये घटना मुरादाबाद में हुई थी, जब मंत्री एके शर्मा एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, तभी कुछ देर के लिए बिजली चली गई थी. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जूनियर इंजीनियर (जेई) को केवल बातों को छिपाने के लिए निलंबित किया गया था, उसकी जिम्मेदारी स्पष्ट किए बिना. यह टिप्पणी करते हुए, न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने 25 अगस्त को जेई ललित कुमार द्वारा दायर रिट याचिका का निपटारा कर दिया. जिसपर बिजली विभाग के वकील ने कहा कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक निलंबन पर पुनर्विचार करेंगे. 

आपको बता 20 जुलाई को, मुरादाबाद में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल हो गई थी. लगभग दस मिनट बाद बिजली बहाल हुई थी. इस घटना के परिणामस्वरूप, अधिकारियों ने जेई ललित कुमार को निलंबित कर दिया. इसको लेकर ललित ने एक रिट याचिका के माध्यम से आदेश को चुनौती दी थी. 

जेई के वकील ने कहा कि निलंबन आदेश केवल विभागीय कमियों को छिपाने के लिए जारी किया गया था, और इसमें याचिकाकर्ता की कोई विशिष्ट जिम्मेदारी का उल्लेख नहीं किया गया था. फिलहाल, सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट विभाग को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है. 

ये भी पढ़ें- मंत्री के सामने 10 मिनट वाली वो गलती… नप गए चीफ इंजीनियर से लेकर जेई तक यूपी के 5 अफसर

मुरादाबाद की घटना में सस्पेंड किए गए अफसर- 

1- चीफ इंजीनियर अरविंद सिंघल
2- सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर सुनील अग्रवाल
3- एक्सईएन प्रिंस गौतम
4- एसडीओ राणा प्रताप
5- जेई ललित कुमार

इन सभी अधिकारियों पर मंत्री के कार्यक्रम के दौरान बिजली आपूर्ति में आई बाधा के लिए जवाबदेही तय की गई थी. पीवीवीएनएल (पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) की एमडी ईशा दुहन ने बयान जारी कर कहा था कि हर सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित रखने के स्पष्ट निर्देश होते हैं. ऐसे आयोजनों में कंटिजेंसी प्लान और वैकल्पिक व्यवस्था अनिवार्य होती है. इसके बावजूद मुरादाबाद में जो हुआ, वह घोर लापरवाही का संकेत है. एमडी ईशा दुहन ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी या वीआईपी कार्यक्रम में बाधा को शासन बेहद गंभीरता से लेता है. ऐसी घटनाएं भविष्य में दोहराई न जाएं. इसके लिए विभागीय अधिकारियों को चेतावनी जारी की गई है.

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