Tuesday 15/ 04/ 2025 

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भारत को मिली बड़ी सफलता, इस हथियार को बनाकर दिग्गज देशों से की बराबरी; देखें VIDEO

30 किलोवॉट की लेजर आधारित हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण
Image Source : ANI
30 किलोवॉट की लेजर आधारित हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण

आंध्र प्रदेश: भारत ने पहली बार 30 किलोवॉट की लेजर आधारित हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण कर अपनी रक्षा क्षमता में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस प्रणाली के जरिए भारत ने रविवार को फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन को मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इस सफलता के साथ भारत अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की उस विशिष्ट सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने ऐसी लेजर हथियार तकनीक का सफल प्रदर्शन किया है।

“हम दुनिया में चौथे या 5वें देश”

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इस उपलब्धि पर बात करते हुए कहा, “जैसा कि मेरी जानकारी में है, अमेरिका, रूस और चीन ने इस तरह की क्षमता प्रदर्शित की है। इज़राइल भी इस पर काम कर रहा है। मैं कह सकता हूं कि हम दुनिया में चौथे या पांचवे देश हैं, जिन्होंने इस प्रणाली को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है।”

इसके साथ ही डॉ. समीर वी कामत ने भारत के पहले 5वीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई प्रोजेक्ट 10 से 15 सालों से कम में पूरा नहीं होता। हमने यह यात्रा 2024 में शुरू की है, जब CCS ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी। हमारा लक्ष्य है कि 2035 तक यह विमान तैयार हो जाए।”

उन्होंने बताया कि भारत एक नए एयरो इंजन प्रोग्राम की भी शुरुआत करना चाहता है और इसके लिए किसी विदेशी कंपनी (OEM) के साथ सहयोग की योजना है, ताकि विकास में आने वाले जोखिमों को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि AERO इंजन तकनीक एक बहुत ही जटिल तकनीक है, हालांकि हमने कावेरी इंजन से बहुत कुछ सीखा है। कावेरी चौथी पीढ़ी का इंजन था, लेकिन अब तकनीक छठी पीढ़ी तक पहुंच चुकी है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में इस पर कोई अच्छी खबर मिल सकती है।

लेजर बेस्ड वेपन सिस्टम की खासियत?

  • 30 किलोवाट की लेजर हथियार प्रणाली को 5 किलोमीटर की सीमा के भीतर ड्रोन और हेलीकॉप्टर जैसे हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसमें कम्युनिकेशन और सेटेलाइट सिग्नल्स को जाम करने सहित एडवांस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएं हैं।
  • इसका इस्तेमाल जमीन और जहाज दोनों जगहों पर किया जा सकता है। 
  • इससे कई डोमेन में भारत की रक्षा क्षमता बढ़ गई है।

DRDO के लिए बड़ी उपलब्धि

इस अवसर पर सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS), DRDO के निदेशक डॉ. जगन्नाथ नायक ने भी कहा, “जो हमने आज हासिल किया है, वह एक बहुत बड़ी सफलता है। हमने देखा कि हमने लंबी दूरी पर फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट को निष्क्रिय किया, और साथ ही स्वार्म ड्रोन को भी मार गिराया। यह एक नया और उभरता हुआ हथियार प्रणाली है। यह एक ‘मासलेस’ हथियार है, जिसमें केंद्रित लेज़र प्रकाश लक्ष्य पर पड़ता है और उसे निष्क्रिय कर देता है। यह हमारे देश और DRDO के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।”

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